जबलपुर : सोशल मीडिया पर विवादित टिप्पणी करने के मामले में डिंडौरी पुलिस ने महिला अतिथि प्रोफेसर डॉ. नसीमा बानो को बुधवार को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया। इससे पहले उनकी नियमित जमानत याचिका न्यायालय ने खारिज कर दी थी। जमानत खारिज होने के बाद शासन ने उन्हें सेवा से भी पृथक कर दिया है।
डॉ. नसीम बानो पर आरोप है कि उन्होंने एक व्हाट्सएप ग्रुप में देवी सीता के अपहरण को दर्शाने वाला कार्टून वीडियो पोस्ट किया था। इसके साथ ही उन्होंने पहलगाम में हुए आतंकी हमले का संदर्भ देते हुए लिखा था कि “आतंकवादियों के द्वारा धर्म पूछकर गोली मारने और ‘जय श्रीराम’ के नारे लगाकर हत्या करने में कोई अंतर नहीं है।”
इस टिप्पणी के खिलाफ अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने 24 अप्रैल की रात को कोतवाली थाने में प्रदर्शन कर रिपोर्ट दर्ज कराई थी। शिकायत के आधार पर पुलिस ने उनके खिलाफ धार्मिक भावनाएं भड़काने का मामला दर्ज किया था।
डॉ. नसीम बानो की अग्रिम जमानत याचिका पहले ही खारिज हो चुकी थी। इसके बाद उन्होंने स्थायी जमानत के लिए याचिका दायर की, जिसका स्थानीय अधिवक्ताओं ने विरोध किया। अधिवक्ताओं ने न्यायालय में तर्क दिया कि पहलगाम आतंकी हमले में 27 निर्दोष लोगों की धर्म पूछकर हत्या की गई थी और इस तरह की टिप्पणी समाज में गलत संदेश देती है।
बुधवार को न्यायालय ने स्थायी जमानत याचिका भी खारिज कर दी। इसके बाद कॉलेज प्राचार्य डॉ. सुल्तान सिंह ने महिला प्रोफेसर का अनुबंध समाप्त करने का प्रस्ताव शासन को भेजा था, जिसे मंजूरी दे दी गई। डॉ. नसीम बानो को अब कॉलेज सेवा से हटा दिया गया है।