नई दिल्ली : जम्मू-कश्मीर में एंटी टेररिस्ट ऑपरेशन अखल सोमवार को अपने अभियान के चौथे दिन में प्रवेश कर गया. ये मुहिम साल 2025 के सबसे लंबे आतंकी अभियान के रूप में कामयाबी के साथ आगे बढ़ रहा है. लगातार गोलीबारी और रुक-रुक कर हो रहे बम और हथगोलों के धमाकों के साथ जारी है. चार दिनों तक चले इस निरंतर अभियान में, सुरक्षा बलों ने आज रुद्र लड़ाकू हेलीकॉप्टर, ड्रोन, थर्मल इमेजिंग और विशिष्ट पैरा स्पेशल फोर्स जैसे उन्नत सैन्य उपकरणों का इस्तेमाल किया, जिससे अभियान और भी तीव्र, घातक और खतरनाक हो गया.
स्पेशल ऑपरेशन में बड़ी कामयाबी : कलारूस, कुपवाड़ा (जम्मू-कश्मीर) में 3 दिवसीय संयुक्त तलाशी अभियान में, बीएसएफ, सेना और पुलिस ने 04 अगस्त 2025 को एक पथरीली गुफा का पता लगाया. ठिकाने से 12 चीनी ग्रेनेड, गोला-बारूद के साथ चीनी पिस्तौल, केनवुड रेडियो सेट, उर्दू आईईडी मैनुअल और फायर स्टिक बरामद किए गए और आतंकवादी की नापाक योजना को नाकाम कर दिया गया.
अब तक कितने आतंकी ढेर? : चौथे दिन उच्च तकनीक वाली निगरानी और लड़ाकू उपकरणों का निरंतर उपयोग देखा गया, जो घने अकाल जंगल में नेविगेट करने और हेक्साकॉप्टर के माध्यम से जंगल पर बमबारी करने में महत्वपूर्ण थे. थर्मल इमेजिंग और ड्रोन की तैनाती चुनौतीपूर्ण इलाकों में आतंकवादियों की गतिविधियों पर नज़र रखने के लिए की गई थी.
अहम जानकारी : कहा जा रहा है कि अब तक 3 आतंकवादी मारे गए हैं, लेकिन अधिकारियों द्वारा केवल एक की पहचान और पुष्टि की गई है. आपको बताते चलें कि पहचाने गए आतंकवादी का नाम हारिस नज़ीर डार है, जो राजपुरा, पुलवामा का रहने वाला एक श्रेणी-सी आतंकवादी है और लश्कर-ए-तैयबा (LeT) से जुड़ा है. वह 2023 से सक्रिय है और उसका शव भी बरामद कर लिया गया है. अन्य 2 आतंकियों की पहचान अब तक पुष्ट नहीं हुई है और उनके शव भी नहीं मिले हैं, इसलिए अधिकारी अभी तक उनकी हत्या की पुष्टि नहीं कर रहे हैं.
रिपोर्ट्स के अनुसार, वे 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए हमले के लिए ज़िम्मेदार लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादी संगठन से जुड़े हो सकते हैं, जिसमें 26 नागरिक मारे गए थे.
चार जवान घायल : भीषण गोलीबारी में चार जवान घायल हुए हैं, लेकिन किसी के हताहत होने की खबर नहीं है. घायल जवानों की हालत स्थिर बताई जा रही है और उन्हें सेना के अस्पताल में भर्ती कराया गया है. ऑपरेशन अभी भी जारी है और रात भर रुक-रुक कर भारी गोलीबारी होती रही. सुरक्षाबलों ने किसी भी आतंकवादी को भागने से रोकने के लिए घेराबंदी कड़ी कर दी है. घने जंगलों और प्राकृतिक गुफाओं के कारण सक्रिय आतंकवादियों के शवों को निकालना और उनका पता लगाना चुनौतीपूर्ण हो गया है. सुरक्षा बलों का मानना है कि जंगल क्षेत्र में 2-3 और आतंकवादी छिपे हुए हैं.
घने अखल जंगल में आतंकवादियों की मौजूदगी की खुफिया जानकारी मिलने के बाद 1 अगस्त, 2025 को यह अभियान शुरू हुआ. इसमें भारतीय सेना के विशिष्ट बल पैरा कमांडो, जम्मू-कश्मीर पुलिस और एसओजी कमांडो, सेना की राष्ट्रीय राइफल्स (आरआर) और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की एक संयुक्त टीम शामिल थी.
वो सुबह जरूर आएगी जब नहीं होगा एक भी आतंकवादी : ऑपरेशन अखल, ऑपरेशन महादेव जैसे अन्य बड़े अभियानों के बाद आया है, जिसमें पहलगाम हमले से जुड़े लश्कर-ए-तैयबा के 3 आतंकवादी मारे गए थे, और ऑपरेशन शिव शक्ति, जिसमें दो घुसपैठिए मारे गए थे. अखल ऑपरेशन जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद-रोधी प्रयासों की व्यापक तीव्रता का हिस्सा है, जिसमें पहलगाम हमले के बाद से लगभग 20 हाई-प्रोफाइल आतंकवादियों का सफाया किया जा चुका है.
ऑपरेशन अखल को इसके पैमाने, अवधि और उन्नत सैन्य संसाधनों के उपयोग के कारण इस वर्ष जम्मू-कश्मीर में संभावित रूप से सबसे बड़ा आतंकवाद-रोधी अभियान बताया जा रहा है. यह आतंकवाद के खिलाफ सुरक्षा बलों के आक्रामक रुख को दर्शाता है. यह अभियान अभी भी जारी है और रात में रुकेगा और सुबह की पहली किरण के साथ फिर से शुरू होगा.