झारखंड : शिबू सोरेन संस्थापक संरक्षक, हेमंत सोरेन केंद्रीय अध्यक्ष बने

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रांची : झारखंड मुक्ति मोर्चा के 13वें केंद्रीय महाधिवेशन में पार्टी के संगठनात्मक ढांचे में बड़ा बदलाव किया गया है. पार्टी के संस्थापक और झारखंड आंदोलन के जननायक दिशोम गुरु शिबू सोरेन को संस्थापक संरक्षक की जिम्मेदारी सौंपी गई है. इस महाधिवेशन में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पहली बार पार्टी का केंद्रीय अध्यक्ष चुना गया. इससे पहले हेमंत सोरेन पार्टी में कार्यकारी अध्यक्ष के पद पर कार्यरत थे.

हेमंत सोरेन के हाथों में अब सरकार और संगठन दोनों की कमान आ गई है. पार्टी नेताओं का कहना है कि यह निर्णय झामुमो को आगामी चुनावों के लिए मजबूत बनाएगा और संगठन में नई ऊर्जा का संचार करेगा. पार्टी ने यह स्पष्ट किया है कि शिबू सोरेन भले ही सक्रिय राजनीति से दूर हो रहे हों, लेकिन वे संरक्षक के रूप में पार्टी का मार्गदर्शन करते रहेंगे.

महाधिवेशन में लिए गए प्रमुख फैसले इस प्रकार हैं :
संस्थापक संरक्षक की नियुक्ति : पार्टी के संस्थापक और झारखंड आंदोलन के जननायक शिबू सोरेन को पार्टी का संस्थापक संरक्षक घोषित किया गया.

केंद्रीय अध्यक्ष की नियुक्ति : झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पहली बार पार्टी का केंद्रीय अध्यक्ष चुना गया.

केंद्रीय कार्यकारिणी का पुनर्गठन : महाधिवेशन में पार्टी की केंद्रीय कार्यकारिणी का पुनर्गठन किया गया, जिसमें विभिन्न समितियों का गठन किया गया.

संविधान में संशोधन प्रस्ताव : पार्टी के संविधान में आवश्यक संशोधन के लिए प्रस्ताव पेश किया गया, जिसे सदस्यों ने अनुमोदित किया.

राजनीतिक प्रस्ताव : पार्टी के आगामी कार्यक्रमों और चुनावी रणनीतियों को लेकर एक राजनीतिक प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया, जिसमें विभिन्न राज्यों में पार्टी की सक्रियता बढ़ाने की योजना पर चर्चा की गई.

इस महाधिवेशन के माध्यम से झामुमो ने अपनी संगठनात्मक संरचना को मजबूत करने और आगामी चुनावों के लिए रणनीतियां तैयार करने का प्रयास किया है. पार्टी की कमान पहले से भी हेमंत सोरेन के हाथों में थी, लेकिन अब आधिकारिक तौर पर वो केंद्रीय अध्यक्ष बन गए हैं. ऐसे में उनकी पूरी कोशिश होगी कि झामुमो का विस्तार झारखंड-बिहार से बाहर भी किया जाएगा.

बिहार विधानसभा चुनाव पर फोकस : इसी साल बिहार में विधानसभा का चुनाव भी है. ऐसे स्थिति में पार्टी की पूरी कोशिश होगी कि बिहार चुनाव में वो पूरे दमखम के साथ मैदान में उतरे और ज्यादा से ज्यादा सीटों पर अपनी पकड़ को मजबूत करे. चर्चा है कि बिहार में पार्टी कम से कम 12 सीटों पर गठबंधन के साथ मैदान में उतरे. हालांकि, सीटों को लेकर अभी तक मुहर नहीं लग पाई है क्योंकि अभी गठबंधन की बैठक होनी बाकी है.

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