मानसरोवर यात्रा : नेपाल-चीन सीमा पर पुल ढहने से यात्रा प्रभावित, 25 हजार श्रद्धालुओं के पहुंचने की उम्मीद

नई दिल्ली/काठमांडू : पर्वतीय पर्यटन उद्यमियों के संगठन, ट्रेकिंग एजेंसीज एसोसिएशन ऑफ नेपाल (टीएएएन) ने बताया है कि नेपाल-चीन सीमा पर रसुवागढ़ी गांव के पास मितेरी पुल ढहने के कारण कैलाश मानसरोवर की यात्रा करने वालों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। जबकि पांच साल के अंतराल के बाद फिर से शुरू होने वाली कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए नेपाल को इस साल कम से कम 25,000 भारतीय तीर्थयात्रियों की मेजबानी करने की उम्मीद है।

तीर्थयात्रियों की न सिर्फ आवाजाही बाधित हुई बल्कि पहाड़ी क्षेत्र में कारोबार भी ठप हो गया है। शेरपा समुदाय ने चीन से तातोपानी, कोरोला, हिल्सा जैसे वैकल्पिक मार्गों को मार्ग देने का आग्रह किया है। टीएएएन ने नेपाल के विदेश मंत्रालय से वीजा प्रक्रिया को सरल और तेज करने के लिए काठमांडू में चीनी दूतावास के साथ राजनयिक रूप से जुड़ने का भी आह्वान किया है।

बाढ़ से बहा मितेरी पुल : TAAN के महासचिव सोनम ग्यालजेन शेरपा ने बताया कि मंगलवार सुबह लेहेंडे नदी में आई बाढ़ की वजह से मितेरी पुल बह गया। इसके कारण कैलाश मानसरोवर जाने वाला रास्ता बंद हो गया है और तीर्थयात्री फंस गए हैं। उन्होंने चीनी सरकार से अपील की है कि वह तातोपानी, कोरोला, हिल्सा और दूसरे रास्तों से तीर्थयात्रियों को जाने की सुविधा दे। इसके लिए तुरंत कूटनीतिक बातचीत की जरूरत है। बयान में कहा गया है कि कैलाश मानसरोवर, जो चीन के तिब्बत क्षेत्र में है, वहां जाने वाले नेपाली और विदेशी तीर्थयात्रियों को अब बहुत दिक्कत हो रही है क्योंकि मितेरी पुल टूटा हुआ है। यह पुल नेपाल और चीन के बीच एक महत्वपूर्ण रास्ता था।

भारत सरकार दो रास्तों से कराती है मानसरोवर यात्रा : 27 जनवरी 2025 को चीन और भारत के बीच बीजिंग में एक बैठक हुई थी, जिसमें दोनों देशों ने भारतीय नागरिकों के लिए कैलाश यात्रा फिर से शुरू करने पर सहमति जताई थी। भारत सरकार दो रास्तों से कैलाश मानसरोवर यात्रा कराती है, इनमें लिपुलेख दर्रा (उत्तराखंड) और नाथू ला दर्रा (सिक्किम) शामिल हैं। इन दोनों मार्गों पर चीन की अनुमति और सहयोग होता है। ये यात्रा सरकारी योजना के तहत होती है और तय संख्या में लोगों को ही अनुमति मिलती है। हालांकि, ज्यादातर भारतीय तीर्थयात्री नेपाल के रास्ते निजी यात्रा करना पसंद करते हैं। इसके चार मुख्य रास्ते हैं। इनमें तातोपानी, रसुवागढ़ी, हिल्सा और काठमांडू से ल्हासा की उड़ान शामिल हैं।

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