नई दिल्ली : संसद के दोनों सदनों से पास होने के बाद वक्फ संशोधन कानून अब एक हकीकत बन चुका है और सरकार इसे लागू करने के लिए अधिसूचना भी जारी कर चुकी है. इसके बावजूद कट्टरपंथी अब भी आंख दिखाने और इस कानून को न मानने की धमकी दे रहे हैं. खासकर गैर-बीजेपी शासित राज्यों में कट्टरपंथियों की ज्यादा ही सरगर्मी देखने को मिल रही है. इस मुद्दे पर जहां बंगाल जल रहा है, वहीं केरल में कट्टरपंथी मुस्लिम संगठन रैलियां निकालकर केंद्र सरकार को धमकी दे रहे हैं.
जमात-ए-इस्लामी से संबद्ध सॉलिडेरिटी यूथ मूवमेंट और स्टूडेंट्स इस्लामिक ऑर्गनाइजेशन (SIO) ने बुधवार को केरल के उत्तरी कोझिकोड जिले में वक्फ कानून के खिलाफ जुलूस निकाला था. इंटरनेशनल एयरपोर्ट तक निकाले गए उस जुलूस में सैकड़ों मुसलमान शामिल हुए. इस दौरान कई लोगों ने हाथों में मुस्लिम ब्रदरहुड और हमास जैसे आतंकी संगठनों के नेताओं की तस्वीरें ले रखी थीं, जिससे केरल में नया राजनीतिक विवाद शुरू हो गया है.
भाजपा ने इस मामले को लेकर सत्तारूढ़ गठबंधन एलडीएफ और विपक्षी यूडीएफ दोनों की कड़ी आलोचना की है. पार्टी ने आरोप लगाया है कि दोनों गठबंधन वोट बैंक की राजनीति करते रहे हैं. उनकी तुष्टीकरण की नीतियों और वोट बैंक पॉलिटिक्स की वजह से राज्य में आतंकवादी संगठन पनप रहे हैं. इन आतंकी तंजीमों पर अंकुश लगाने के बजाय सरकार चुप्पी साधकर उन्हें बढ़ावा देने में लगी है.
वरिष्ठ भाजपा नेता के. सुरेन्द्रन ने विरोध प्रदर्शन में मुस्लिम ब्रदरहुड और हमास जैसे चरमपंथी संगठनों की तस्वीरें लहराए जाने पर सवाल उठाया. बीजेपी के तीखे तेवर के बाद माकपा और प्रभावशाली मुस्लिम विद्वानों के संगठन समस्ता (एपी गुट) बैक फुट पर दिखाई दे रहे हैं. दोनों ने जुलूस में चरमपंथी संगठनों के नेताओं की तस्वीरें लहराए जाने की निंदा करते हुए कहा कि इससे दक्षिणपंथी संगठनों को दुष्प्रचार का एक हथियार मिल जाएगा.