नई दिल्ली : पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने जिस तरह हुंकार भरी है पाकिस्तान में हाहाकार मचा है. भारत ने पहले सिंधु जल संधि को तोड़ा और अब किशनगंगा-रातले मामले में भी विश्व बैंक से साफ शब्दों में कह दिया है कि इस मामले में कोई मीटिंग अब नहीं होगी. हिंदुस्तान टाइम्स में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, भारत किशनगंगा-रातले विवाद पर बड़ा कदम उठाने जा रहा है, और वर्ल्ड बैंक के नियुक्त न्यूट्रल एक्सपर्ट से कार्यवाही रोकने का आग्रह करेगा. पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने सिंधु जल संधि को को पहले ही तोड़ दिया है. इसलिए, भारत चाहता है कि न्यूट्रल एक्सपर्ट की कार्यवाही रोक दी जाए.
विश्व बैंक से कोई बात नहीं करेगा भारत? : एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, भारत विश्व बैंक और इसके द्वारा नियुक्त तटस्थ विशेषज्ञ मिशेल लिनो को वियना में होने वाली अगली बैठक में हिस्सा न लेने की जानकारी देगा. यह फैसला तब तक लागू रहेगा, जब तक भारत और पाकिस्तान के बीच जल-साझेदारी समझौता निलंबित है. यह विवाद जम्मू-कश्मीर में किशनगंगा और रातले बांधों को लेकर है. जिन पर पाकिस्तान ने आपत्ति जताई है. मिशेल लिनो का दफ्तर स्थायी मध्यस्थता न्यायालय में इन विवादों को सुलझाने का काम कर रहा है. अधिकारी ने बताया कि संधि को निलंबित कर दिया गया है, इसलिए भारत लिनो के कार्यालय से आगामी बैठकों को टालने के लिए कहेगा.
नवंबर में होनी थी मीटिंग : इस मामले को लेकर वियना में नवंबर 2025 में एक बैठक प्रस्तावित थी, जिसके बाद बांधों की साइट का दौरा होना था. इससे पहले सितंबर 2023 में वियना में बैठक हुई थी, जिसमें भारत का पक्ष वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने रखा था. इसके बाद 2024 में साइट का दौरा भी किया गया. भारत का कहना है कि उसे विश्व बैंक को इस निलंबन के फैसले की औपचारिक सूचना देने की जरूरत नहीं है. यह कदम 22 अप्रैल 2025 को कश्मीर के पहलगाम में आतंकवादी हमले के बाद उठाया गया, जिसमें दर्जनों पर्यटकों की जान गई थी. इसके बाद भारत ने सिंधु जल संधि को तोड़ने का ऐलान किया था.
किशनगंगा-रातले बांध विवाद क्या है? : किशनगंगा (330 मेगावाट) और रातले (850 मेगावाट) बांधों को लेकर सात प्रमुख मुद्दों पर भारत और पाकिस्तान के बीच मतभेद हैं. किशनगंगा प्रोजेक्ट पूरी तरह राष्ट्रीय जलविद्युत निगम (NHPC) के पास है, जबकि रतले प्रोजेक्ट NHPC और जम्मू-कश्मीर विद्युत विकास निगम का संयुक्त उद्यम है. पिछली वियना बैठक में भारत ने दलील दी थी कि किशनगंगा बांध का 7.55 मिलियन क्यूबिक मीटर जलग्रहण क्षेत्र संधि के नियमों के अनुसार है. दूसरी ओर, पाकिस्तान ने सबसे पहले 2006 में किशनगंगा प्रोजेक्ट और बाद में रातले प्रोजेक्ट पर आपत्ति जताई थी. उसका दावा है कि ये परियोजनाएं सिंधु जल संधि का उल्लंघन करती हैं. पाकिस्तान का कहना है कि अगर सिंधु नदी का पानी पाकिस्तान का है तो भारत ने बांध क्यों बनाया है. इस मामले में भारत का रुख साफ है कि जब तक संधि निलंबित है, वह इन बैठकों में हिस्सा नहीं लेगा. भारत के इस कदम से पाकिस्तान और भड़क सकता है. लेकिन भारत ने अपना एजेंडा बिल्कुल साफ रखा है.