नई दिल्ली : 17 साल पहले महाराष्ट्र के मालेगांव विस्फोट मामले में एनआईए की विशेष अदालत ने सभी सात आरोपियों को बरी कर दिया है। कोर्ट के इस फैसले के बाद एक पक्ष में जहां खुशी की लहर है, तो वहीं दूसरी ओर निराशा का माहौल देखने को मिल रहा है। ऐसे में लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित जो कि विस्फोट मामले के आरोपी थे कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए अपनी खुशी जाहिर की। पत्रकारों से बातचीत के दौरान पुरोहित ने कहा कि मैं देश और उन सभी लोगों का आभारी हूं जिन्होंने हमारा साथ दिया।
उन्होंने कहा कि न्यायपालिका ने केस को समझा और हम सबको न्याय दिया। इस लड़ाई में भारतीय सशस्त्र बलों ने मेरा पूरा साथ दिया। मैं उनका धन्यवाद करने के लिए शब्द नहीं ढूंढ पा रहा हूं। बता दें कि मामले में पूर्व भाजपा सांसद प्रज्ञा ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित, मेजर रमेश उपाध्याय, अजय राहिरकर, सुधाकर द्विवेदी, सुधाकर चतुर्वेदी और समीर कुलकर्णी पर आतंकवाद और आपराधिक साजिश के गंभीर आरोप लगे थे। इसके बाद गुरुवार को एनआईए कोर्ट ने आरोपित सभी को बरी कर दिया।
प्रज्ञा ठाकुर की बहन ने जताई खुशी : कोर्ट के इस फैसले के बाद साध्वी प्रज्ञा की सबसे छोटी बहन प्रतिभा सिंह ने खुशी जताई। उन्होंने कहा कि हम इस फैसले से बहुत खुश हैं। पिछले 17 वर्षों में हमने जो संघर्ष किया, उसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि उस दौरान यूपीए सरकार ने हमें बहुत प्रताड़ित किया।
प्रतिभा सिंह ने कहा कि हमें सामाजिक और आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ा, हमारा व्यापार भी बंद हो गया। उन्होंने भगवा आतंकवाद की थ्योरी बनाई और साध्विजी को बहुत यातनाएं दीं। साथ ही अंत में कहा कि फैसला देर से आया लेकिन सही आया।
सीएम फडणवीस ने कांग्रेस पर किया हमला : वहीं कोर्ट के इस फैसले पर फडणवीस ने कांग्रेस पर जोरदार हमला किया। उन्होंने कहा कि जिस तरह कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने भगवा आतंकवाद और हिंदू आतंकवाद का झूठा नैरेटिव बनाया और मालेगांव मामले को तैयार किया, आज वह पूरी तरह उजागर हो गया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने अपने खास वोट बैंक को खुश करने के लिए ये कहानी बनाई।
फडणवीस ने कहा कि कांग्रेस ने सारे हिंदुओं को आतंकवादी बताने की कोशिश की, जिसे पूरा देश नकार रहा है। हम मांग करते हैं कि कांग्रेस ऐसे शब्दों का इस्तेमाल करने के लिए माफी मांगे। फडणवीस ने आगे कहा कि हम इस फैसले को विस्तार से देखेंगे और उसके बाद ही सुप्रीम कोर्ट जाने का फैसला लेंगे। जो बातें सामने आ रही हैं, वे साफ दिखाती हैं कि यह सब एक साजिश थी।