नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले के प्राचीर से सीमा पार से बढ़ते खतरों के बीच भविष्य में देश की सुरक्षा को अभेद्य बनाने के लिए महत्वाकांक्षी योजना, मिशन सुदर्शन चक्र की घोषणा की। इस मिशन का लक्ष्य 2035 तक भारत के सभी महत्वपूर्ण स्थानों, जिनमें रणनीतिक क्षेत्र, अस्पताल, रेलवे और धार्मिक स्थल शामिल हैं, को एक अत्याधुनिक, बहु-स्तरीय वायु और मिसाइल रक्षा कवच प्रदान करना है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत को भगवान श्री कृष्ण के सुदर्शन चक्र की तरह ही लक्षित सटीक कार्रवाई के लिए शक्तिशाली हथियार प्रणाली विकसित करनी चाहिए। यह स्वदेशी रक्षा कवच न सिर्फ दुश्मन के हमलों को निष्क्रिय करेगा, बल्कि जवाबी कार्रवाई करने में भी सक्षम होगा। यह दुश्मन की घुसपैठ को निष्क्रिय करेगा और भारत की आक्रामक क्षमताओं को बढ़ाएगा। यह मिशन भारत की रणनीतिक स्वायत्तता को दर्शाता है और किसी भी खतरे का तेजी से, सटीक और शक्तिशाली जवाब देने की प्रतिबद्धता को मजबूत करता है।
इन अचूक शस्त्रों से होगा आक्रामक क्षमता का विस्तार : मिशन सुदर्शन चक्र का एक महत्वपूर्ण पहलू भारत की आक्रामक क्षमता में वृद्धि है। यह संकेत देता है कि भारत अपने पारंपरिक (गैर-परमाणु) बैलिस्टिक और क्रूज मिसाइलों के शस्त्रागार का विस्तार करेगा। इसके तहत, प्रलय नामक 500 किलोमीटर रेंज की अर्ध-बैलिस्टिक मिसाइल और 1,000 किलोमीटर रेंज की सबसोनिक लंबी दूरी की क्रूज मिसाइल को शामिल किया जाएगा। ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल की मारक क्षमता को 450 किमी से बढ़ाकर 800 किमी करने की भी योजना है।
बहु-स्तरीय रक्षा प्रणाली का निर्माण : यह मिशन एक एकीकृत वायु और मिसाइल रक्षा प्रणाली तैयार करेगा, निम्नलिखित ये सब शामिल होगा।
ओवरलैपिंग सेंसर नेटवर्क : खतरों का पता लगाने और उन्हें ट्रैक करने के लिए प्रारंभिक चेतावनी और ट्रैकिंग सेंसर का एक व्यापक नेटवर्क।
मजबूत कमान और नियंत्रण केंद्र : सटीक और त्वरित निर्णय लेने के लिए विश्वसनीय कमान और नियंत्रण पोस्ट।
उन्नत इंटरसेप्टर मिसाइलें : जमीन और समुद्र-आधारित इंटरसेप्टर मिसाइलों और अन्य हथियारों की बैटरी।
अंतरिक्ष-आधारित संपत्तियां : प्रारंभिक चेतावनी और खतरे को ट्रैक करने के लिए अंतरिक्ष-आधारित परिसंपत्तियों का प्रभावी उपयोग।
मौजूदा रक्षा प्रणालियां इस मिशन की नींव : भारत की मौजूदा रक्षा प्रणाली इस मिशन की नींव है। हाल ही में हुए ऑपरेशन सिंदूर के दौरान, भारत की एकीकृत वायु रक्षा प्रणाली ने तुर्की के ड्रोन और चीनी मिसाइलों को सफलतापूर्वक विफल किया था। वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने भी पुष्टि की थी कि भारतीय वायुसेना के रूसी मूल के एस-400 वायु रक्षा प्रणाली ने 300 किलोमीटर की दूरी से पांच पाकिस्तानी लड़ाकू विमानों और एक बड़े विशेष मिशन विमान को मार गिराया था।
प्रोजेक्ट कुशा से सीधा संबंध, 350 किमी रेंज : मिशन सुदर्शन चक्र का सीधा संबंध प्रोजेक्ट कुशा के तहत विकसित की जा रही स्वदेशी लंबी दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली (एलआर-एसएएम) से है। यह प्रणाली 150, 250 और 350 किलोमीटर की रेंज में दुश्मन के लक्ष्यों को निशाना बना सकती है। इस प्रणाली का पहला चरण 2028-29 तक तैयार होने की उम्मीद है।
दो स्तरीय बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा प्रणाली के पहले चरण को भी जल्द मिलेगी मंजूरी : भारत की दो-स्तरीय बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा (बीएमडी) प्रणाली के पहले चरण को भी जल्द ही परिचालन में लाने की हरी झंडी मिल सकती है। यह प्रणाली 2,000 किलोमीटर रेंज की दुश्मन बैलिस्टिक मिसाइलों का पृथ्वी के वायुमंडल के अंदर और बाहर दोनों जगह पता लगाकर नष्ट कर सकती है। पिछले साल जुलाई में, भारत ने 5000 किलोमीटर रेंज तक की परमाणु-सक्षम मिसाइलों के खिलाफ रक्षा करने की स्वदेशी क्षमता का प्रदर्शन करते हुए, बीएमडी प्रणाली के दूसरे चरण के तहत एक एंडो-वायुमंडलीय इंटरसेप्टर मिसाइल का सफल परीक्षण किया था।