वॉशिंगटन : मुंबई में 26/11 को हुए आतंकी हमले के आरोपी तहव्वुर हुसैन राणा पर भारत का शिकंजा कसेगा। अमेरिका से राणा के प्रत्यर्पण को मंजूरी मिलने के बाद उसे भारत लाने और उस पर मुकदमा चलाने का रास्ता साफ हो गया। अमेरिकी सरकार ने पिछले साल दिसंबर में अपने सुप्रीम कोर्ट से भारत प्रत्यर्पण के खिलाफ राणा की अपील खारिज करने की मांग की थी।
तहव्वुर राणा पाकिस्तानी मूल का कनाडाई नागरिक और 26/11 हमले के आरोपियों में से एक है। सूत्रों के मुताबिक, उसे भारत लाने के लिए राजनयिक प्रयास जारी हैं। पिछले साल नवंबर में अमेरिका की निचली अदालतों और सैन फ्रांसिस्को में नॉर्थ सर्किट के लिए यूएस कोर्ट ऑफ अपील्स समेत कई संघीय अदालतों में वह अपने प्रत्यर्पण के खिलाफ कानूनी लड़ाई हार चुका है। राणा ने इसके बाद अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में प्रमाणपत्र की रिट के लिए याचिका दायर की। राणा ने इसमें दावा किया कि 2008 के मुंबई आतंकी हमले से जुड़े आरोपों पर शिकागो के उत्तरी जिले इलिनोइस की संघीय अदालत ने उस पर मुकदमा चलाया और बरी कर दिया। उसने बताया कि भारत भी अब शिकागो मामले में समान आरोपों पर मुकदमा चलाने के लिए उसका प्रत्यर्पण चाहता है।
अमेरिकी सरकार ने दिसंबर में राणा की अपील का विरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट से उसकी याचिका खारिज करने की मांग की। अमेरिकी सॉलिसिटर जनरल एलिजाबेथ बी प्रीलोगर ने दावा किया कि भारत जिन आचरणों के आधार पर प्रत्यर्पण चाहता है, वे सभी शिकागो में हुई सुनवाई में सरकार के अभियोजन में शामिल नहीं थे। मसलन, भारत के जालसाजी के आरोप अमेरिकी मुकदमे का हिस्सा नहीं थे। गौरतलब है कि अगस्त 2024 में, एक अमेरिकी अदालत ने फैसला सुनाया था कि तहव्वुर हुसैन राणा को भारत प्रत्यर्पित किया जा सकता है। अदालत ने तहव्वुर राणा की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को खारिज करने के फैसले को बरकरार रखा था।
साल 2008 में पाकिस्तान से नाव में आए लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकियों ने करीब 60 घंटे तक मुंबई को बंधक बनाए रखा था। आतंकियों ने इस दौरान 160 से ज्यादा लोगों की जान ले ली थी। जवाबी कार्रवाई में सुरक्षा बलों ने नौ आतंकियों को मौके पर ढेर कर दिया था, जबकि एक आतंकी अजमल कसाब जिंदा पकड़ा गया था। जिसे बाद में फांसी दे दी गई थी। मुंबई आतंकी हमले में मरने वाले लोगों में 26 विदेशी नागरिक भी थे।
मुंबई में हुए भीषण आतंकी हमलों में भूमिका को लेकर भारत द्वारा प्रत्यर्पण का अनुरोध किए जाने पर राणा को अमेरिका में गिरफ्तार किया गया था। भारत की राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) 2008 में पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादियों द्वारा किए गए 26/11 के हमलों में राणा की भूमिका की जांच कर रही है। भारत ने 10 जून, 2020 को प्रत्यर्पण की दृष्टि से 62 वर्षीय राणा की अस्थायी गिरफ्तारी की मांग करते हुए शिकायत दर्ज कराई थी। बाइडन प्रशासन ने राणा के भारत प्रत्यर्पण का समर्थन किया था।