इस्लामी शिक्षा केंद्र देवबंद के दारुल उलूम का फरमान, ‘स्मार्टफोन रखना हराम… दिखा तो कर लेंगे जब्त’

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नई दिल्ली : इस्लामी शिक्षा के केंद्र देवबंद के दारुल उलूम को ऐसे छात्र नहीं चाहिए, जो स्मार्टफोन रखते हैं. इसके लिए बाकायदा इस्लामी छात्रों के वास्ते एक गाइडलाइंस जारी की गई है. उसमें साफ-साफ लिखा है कि दारूम उलूम के शागिर्द स्मार्टफोन का इस्तेमाल नहीं कर सकते. किसी भी शागिर्द के पास स्मार्टफोन मिलता है तो उसे जब्त कर लिया जाएगा. सवाल ये है कि क्या इस्लामी शिक्षा के नाम पर क्या यहां छात्रों को स्मार्ट नहीं बल्कि कट्टर बनाया जा रहा है?

‘दारूल के शागिर्द भूल जाएं स्मार्टफोन’ : देवबंदी उलेमा मौलाना क़ारी इसहाक़ गोरा का कहना है कि इस फरमान का साफ-साफ मतलब है कि जो भी देवबंद के दारुल उलूम में पढ़ना चाहता है वो स्मार्टफोन को भूल जाए. अगर यहां इस्लामी तालीम हासिल करनी है तो स्मार्टफोन नहीं चलेगा. दारूल उलूम मैनेजमेंट ने छात्रों को साफ-साफ समझा दिया है कि अगर यहां दाखिला चाहिए तो स्मार्टफोन मत रखो.

स्मार्टफोन पर पाबंदी के पीछे दलील दी जा रही है कि छात्र मोबाइल देखने में ऐसे मशगूल हो जाते हैं कि उनका पढ़ाई पर ध्यान नहीं रहता है.इसलिए देवबंदी उलेमा स्मार्टफोन इस्तेमाल पर पाबंदी को सही ठहरा रहे हैं. लेकिन सवाल ये है कि आज के जमाने में जहां बच्चे कंप्यूटर, इंटरनेट और मोबाइल ऐप के जरिए पढ़ाई करके देश-दुनिया में अपना मुकाम बना रहे हैं.

दारूल उलूम देवबंद ने जारी किया फरमान : वहीं स्मार्टफोन पर पाबंदी लगाकर दारुल उलूम ने बता दिया है कि वो अपने दकियानूसी ख्यालों से बाहर निकलने को तैयार नहीं है. इस्लामिक शिक्षा के नाम पर बच्चों को स्मार्टफोन से दूर करना. इस बात की गारंटी कतई नहीं है कि कोई भी बच्चा पढ़ाई में तरक्की हासिल करेगा. ऐसे में पाबंदियों के जरिए पढ़ाई की दलील गले नहीं उतर रही है. देवबंद के दारुल उलूम में देशभर के मुस्लिम छात्र. इस्लामिक तालीम हासिल करने आते हैं. ऐसे में क्या ऐसी बंदिशें उन्हें कबूल है. इस पर उनकी मिली-जुली राय है.

कई मुस्लिम धर्मगुरु स्मार्टफोन बैन के फरमान से इत्तेफाक रखते हैं. वहीं कुछ को लगता है कि ऐसी गाइडलाइंस गैरजरूरी है. दारुल उलूम का विवादों से पुराना नाता रहा है. चाहे गजवा-ए-हिंद की बात हो या फिर हलाला. उसके कई ऐसे फतवे हैं जो विवादित रहे हैं.

विवादित रहा है देवबंद का इतिहास : दारुल उलूम तो मुस्लिम महिलाओं का अनजान व्यक्ति के हाथ से मेहंदी लगाना गैर-इस्लामिक मानता है. उसके मुताबिक मुस्लिम महिलाओं को किसी दूसरे मर्दों के हाथों से चूड़ियां पहनना भी गैर इस्लामिक है. CCTV लगवाना भी गैर-इस्लामिक है. दारुल उलूम जीवन बीमा को भी नाजायज मानता है. वो महिलाओं के फोटो सोशल मीडिया पर पोस्ट करना भी गैर इस्लामिक मानता है.

दारुल उलूम औरतों के चुस्त कपड़े और तंग बुर्कों पर भी फतवा जारी कर चुकी है. दारुल उलूम ने तो औरतों के लिए मर्दों का फुटबॉल मैच देखना भी हराम बताया है. अब बच्चों को इस्लामी शिक्षा के नाम पर स्मार्टफोन से दूर रखने का फरमान देकर ऐसा लगता है कि दारुल उलूम… बदलते वक्त के साथ खुद को बदलने के लिए राजी नहीं है. ऐसा लगता है कि वो इस्लामी तालीम हासिल करने वाले बच्चों को स्मार्ट बनते देखना नहीं चाहती है.

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