NCERT : मुगलिया सोच खिलजी-मुगल हमेशा-हमेशा के लिए दफन! किताब से हटाए गए मुगलों के पाठ

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नई दिल्ली : भारत को लूटने वाले और यहां के लाखों हिंदुओं का कत्ल करवाकर उन्हें मजहब बदलने के लिए मजबूर करने वाले मुगल तो कब को मिट चुके हैं. लेकिन स्कूली किताबों में उनका गुणगान अब भी जारी था. अब मोदी सरकार ने इतिहास को सुधार कर मुगलिया सोच को हमेशा-हमेशा के लिए दफन करने का इंतजाम कर दिया है. NCERT ने अपने हालिया संशोधन में 7वीं कक्षा की किताबों से मुगलों और दिल्ली सल्तनत से जुड़े सभी पाठ हटा दिए गए हैं. उनके स्थान पर भारतीय लोकाचार से जुड़े राजवंशों पर एक पाठ जोड़ा गया है. जिसमें महाकुंभ के महत्व को भी विस्तार से बताया गया है.

इतिहास में ‘दफन’ हो गए खिलजी-मुगल! : NCERT की किताबों में ये बदलाव नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) और स्कूली शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा (NCFSE) 2023 में दिए गए दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए किए गए हैं. इन दोनों नीतियों में स्कूली शिक्षा में भारतीय परंपराओं, दर्शन, ज्ञान प्रणालियों और स्थानीय संदर्भ को शामिल करने पर जोर दिया गया है.

रिपोर्ट के मुताबिक, NCERT की किताबों में पिछला सुधार कोरोना महामारी के दौरान किया गया था. तब तुगलक, खिलजी, मामलूक, लोदी और मुगलों जैसे क्रूर विदेशी हमलावरों से जुड़े पाठों में कमी कर दी गई थी. अब 4 साल बाद मुगलों और दिल्ली सल्तनत से जुड़ी सभी पाठ्य सामग्री को 7वीं की किताब से पूरी तरह हटा दिया गया है.

प्राचीन भारतीय राजवंश को पढ़ेंगे स्टूडेंट्स : सामाजिक विज्ञान की किताब “समाज की खोज: भारत और उससे परे” ने मगध, मौर्य, शुंग और सातवाहन जैसे प्राचीन भारतीय राजवंशों पर नए अध्याय जोड़े गए हैं. इन सभी पाठों में मेन फोकस भारतीय लोकाचार यानी परंपराओं पर है.

इसके अलावा “भूमि कैसे पवित्र बनती है” के नाम से नया अध्याय जोड़ा गया है. इसमें भारत और विदेश में पवित्र तीर्थ स्थलों का ब्योरा दिया गया है. जिन धर्मों पर यह पाठ रखा गया है, उसमें हिंदू, बौद्ध, इस्लाम, ईसाई, यहूदी धर्म, पारसी धर्म और सिख धर्म शामिल हैं.

स्टूडेंट्स को मिलेगी पवित्र स्थलों की जानकारी : इस चैप्टर में भारत के 12 ज्योतिर्लिंग, चार धाम यात्रा और प्रतिष्ठित नदियों के संगम, पहाड़ों और जंगलों वाले “शक्ति पीठों” का वर्णन किया गया है. इसी पाठ में भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के एक कथन का भी उल्लेख किया गया है, जिसमें उन्होंने देश को तीर्थस्थलों की भूमि बताया था.

7वीं की नई किताब में बताया गया है कि “वर्ण-जाति व्यवस्था” ने शुरू में सामाजिक स्थिरता प्रदान की, लेकिन ब्रिटिश काल के दौरान इसमें कुरीतियां पैदा कर दी गईं, जिससे समाज में गहरी असमानताएं पैदा हो गईं. पुस्तक में इस साल प्रयागराज में हुए महाकुंभ का भी वर्णन किया गया है. उसमें बताया गया कि कैसे 660 मिलियन लोगों ने इसमें भाग लिया.

विपक्षी दलों ने लगाया शिक्षा के भगवाकरण का आरोप : नई पुस्तक में भारत के संविधान पर भी एक चैप्टर शामिल किया गया है. उस चैप्टर में बताया गया है कि एक समय था जब लोगों को अपने घरों में राष्ट्रीय ध्वज फहराने की अनुमति नहीं थी. लेकिन 2004 में यह वक्त बदल गया, जब एक नागरिक ने महसूस किया कि अपने देश पर गर्व व्यक्त करना उसका अधिकार है. उसने इस नियम को अदालत में चुनौती दी. सर्वोच्च न्यायालय ने इस पर सहमति जताते हुए कहा कि झंडा फहराना अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का हिस्सा है. अब हम तिरंगे को गर्व के साथ फहरा सकते हैं, यह ध्यान में रखते हुए कि इसका कभी अपमान नहीं होना चाहिए.”

एनसीईआरटी के अधिकारियों ने पीटीआई को बताया कि ये किताब का केवल पहला भाग है और आने वाले महीनों में दूसरा भाग जारी होने की उम्मीद है. जब उनसे पूछा गया कि क्या हटाए गए अंश दूसरे भाग में जोड़े जाएंगे, तो उन्होंने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. NCERT की किताबों में पाठ्यक्रम को युक्तिसंगत बनाने की विपक्षी दलों ने आलोचना की है. उन्होंने इसे शिक्षा का भगवाकरण करार दिया है. एनसीईआरटी ने इससे पहले 2002 के गुजरात सांप्रदायिक दंगे का जिक्र करने वाले अंश हटा दिए थे.

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