ऑपरेशन सिंदूर : आतंक पर आर्मी-एयरफोर्स ने 70-30 फार्मूला से पाकिस्तान में मचा दी दहशत

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नई दिल्ली : पाकिस्तान पर ऑपरेशन सिंदूर में सेना ने गजब का कोऑर्डिनेशन दिखाया है. इस हमले में सेना और वायुसेना के हमले का अनुपात 70/30 का था. ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान पर अटैक करने में किस सेना ने क्या योगदान दिया. यहां पर आपके लिए ये जानना भी जरूरी है.  भारतीय थल सेना ने पाकिस्तान पर 70 फीसदी स्ट्राइक कीं. और भारतीय वायुसेना ने 30 फीसदी हमले की जिम्मेदारी संभाली.

इसमें वायुसेना के राफेल फाइटर जेट ने बड़ी भूमिका निभाई. ये हमले भारतीय वायुसेना ने सीमा को पार किए बगैर किए, जिसमें  रफाल फाइटर जेट में लगी स्कैल्प और हैमर मिसाइलों ने सबसे ज्यादा तबाही मचाई. वहीं भारतीय सेना ने आत्मघाती ड्रोन से पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया. भारतीयों के लिए सबसे ज्यादा गर्व की बात ये है ये सभी आत्मघाती ड्रोन भारत में तैयार किए गए.

भारतीय सेना ने ऑपरेशन सिंदूर की रणनीति 5 चरणों में बनाई, जिसमें सेना के तीनों अंगों के साथ साथ खुफिया एजेंसियों ने बड़ी भूमिका निभाई. इसी वजह से भारतीय सेना ने इतना सटीक हमला किया, जिससे सिर्फ आतंकी खत्म हुए.

ऑपरेशन सिंदूर के पहले चरण में टागरेट का चयन किया गया. अंतरिक्ष से भारत की मिलिट्री सैटेलाइट्स और ग्राउंड से भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ ने जानकारी इकट्ठी की. आतंकियों की मौजूदगी और ट्रेनिंग वाले टारगेट का चयन किया गया. यही वजह भारत के हमले में पाकिस्तान के आम नागरिकों का नुकसान नहीं हुआ. ऑपरेशन सिंदूर के दूसरे चरण में 15 दिनों के अंदर टारगेट का आकलन करने का काम हुआ. यहां पर भी सैटेलाइट और रॉ ने जानकारी इकट्ठी की. जहां हमला करना है, वहां कौन रहता है, वहां पर क्या होता है और आतंकी यहां पर कब नजर आते हैं.

रॉ ने जमा की जानकारी : रॉ ने इन इलाकों में पाकिस्तानी सेना के गश्त की जानकारी भी इकट्ठा की. जिस इमारत को निशाना बनाना है. वहां का स्ट्रक्चर कैसा है. मिलिट्री सेटेलाइट्स और ग्राउंड ज़ीरो से इसकी रेकी की गई. भारतीय खुफिया एजेंसियों ने टारगेट की बनावट और मजबूती के बारे में भी जानकारियां जुटाईं. यानि सेना को ये तक बताया गया कि बहावलपुर में जैश के मुख्यालय की छत मोटी कंक्रीट की बनी है या छत की मोटाई साधारण है.

ऑपरेशन सिंदूर के तीसरे चरण में भारतीय सेना ने हमले के लिए हथियारों का चयन किया. ये चयन शुरुआती दो चरणों से मिली जानकारी के आधार किया गया. यानि टारगेट क्या है, टारगेट में कौन मौजूद है, टारगेट का स्ट्रक्चर कैसा है. इस आधार पर अलग-अलग हथियारों का चयन हुआ.

अचानक किया भारत ने हमला : इसे आप बहावलपुर में हमले के लिए चुनी गई स्कैल्प मिसाइल के जरिए समझ सकते हैं, जो लंबी दूरी तरह हमला करती और इमारतों को ध्वस्त करने के काम में आती है और सटीक हमला करने में सक्षम है. इसी वजह से जैश ए मोहम्मद के मुख्यालय के उस क्षेत्र को निशाना बनाया जा सका, जहां पर आतंकी मौजूद थे.

ऑपरेशन सिंदूर के चौथे चरण में सेना ने तय किया, किस आतंकी ठिकाने पर किस तरह हमला करना है. यानि कहां फाइटर प्लेन से हमला किया जाए. कहां आत्मघाती ड्रोन का इस्तेमाल किया जाए. बहावलपुर बॉर्डर से 100 किलोमीटर दूर है. इसलिए यहां हमले के लिए रफाल फाइटर जेट को चुना गया. वहीं पीओके में मौजूद सवाई नाला कैंप और बिलाल कैंप जैसे टारगेट आत्मघाती ड्रोन से उड़ाए गए. ऑपरेशन सिंदूर के पांचवे में चरण में भारतीय सेना ने हमले का सही वक्त तय किया. रात को 1 बजे के बाद जब अलर्ट्स थोड़ी कम हुई और आतंकी सोने चले गए. तब भारतीय सेना ने हमला किया. ताकि अधिक से अधिक आतंकियों को खत्म किया जा सके. इस रणनीति की वजह से ही पाकिस्तान को इतनी करारा जवाब दिया गया है. (साभार: ZEE न्यूज़)

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