नई दिल्ली : पाकिस्तान में जितनी भी सरकारें आती हैं वहां की जनता मायूस ही रहती है. हमेशा महंगाई की मार जनता ही झेलती है. इसी कड़ी में पाकिस्तान में चीनी की कीमतें एक बार फिर आम जनता की पहुंच से बाहर हो गई हैं. पिछले दो हफ्तों में खुदरा बाजार में चीनी की औसत कीमत 168.8 रुपये प्रति किलो दर्ज की गई है जो सरकार द्वारा तय की गई अधिकतम सीमा 164 रुपये प्रति किलो से अधिक है. पाकिस्तान ब्यूरो ऑफ स्टैटिस्टिक्स PBS के आंकड़े बताते हैं कि सरकारी दावे और कोशिशों के बावजूद बाजार में कीमतें नियंत्रण से बाहर हैं.
180 रुपये प्रति किलो तक.. : असल में पाकिस्तान की जियो टीवी की एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले शुक्रवार को डिप्टी प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार ने एक उच्चस्तरीय अंतर-मंत्रालयी बैठक बुलाई थी. इस बैठक में चीनी की कीमतों पर नियंत्रण और आपूर्ति को दुरुस्त करने पर चर्चा हुई. डार ने भरोसा दिलाया कि सरकार बाज़ार में स्थिरता और दीर्घकालिक आर्थिक मजबूती के लिए आवश्यक संरचनात्मक सुधार करेगी. सरकार ने 19 मार्च को चीनी की खुदरा कीमत 164 रुपये और एक्स-मिल रेट 159 रुपये प्रति किलो से कम तय किया था लेकिन हकीकत में खुले मार्केट में कीमतें 170 से 180 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गई हैं.
37 रुपये का उछाल आया : PBS के मुताबिक 27 मार्च से लेकर अब तक राष्ट्रीय स्तर पर चीनी की कीमत औसतन 168.8 रुपये प्रति किलो बनी हुई है. पिछले साल नवंबर के आखिर में यही कीमत 131.85 रुपये प्रति किलो थी. यानी कुछ ही महीनों में कीमतों में लगभग 37 रुपये का उछाल आया है. यह बढ़ोतरी तब हुई जब मिल मालिकों ने वादा किया था कि वे कीमत 140 रुपये प्रति किलो से ऊपर नहीं जाने देंगे.
हकीकत यह है कि घरेलू आपूर्ति में भारी दबाव के बावजूद पाकिस्तान ने मौजूदा वित्तीय वर्ष के पहले सात महीनों में 7.57 लाख मीट्रिक टन चीनी का निर्यात कर दिया, जिससे उसे 407 मिलियन डॉलर की आमदनी हुई. सिर्फ जनवरी में ही 1.24 लाख टन चीनी का निर्यात किया गया, जिसकी कीमत 64.34 मिलियन डॉलर रही. रमजान के महीने में तो हालात और बिगड़ गए जब खुदरा बाजार में चीनी 185 रुपये प्रति किलो तक बिकने लगी.