नई दिल्ली : लोकसभा में संविधान पर चर्चा के दूसरे दिन आज शाम करीब 5 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संविधान के 75 साल के उपलक्ष्य में चर्चा करेंगे। राहुल गांधी ने भी संविधान पर चर्चा के दौरान अपनी बात रखी।
लोकसभा में पीएम मोदी ने कहा कि संविधान निर्माण में नारी शक्ति की बड़ी भूमिका निभाई। संविधान सभा में 15 महिला सक्रिय सदस्य थीं। उन्होंने संविधान सभा की बहस को सशक्त किया। संविधान में उन्होंने जो सुझाव दिए, उनका संविधान निर्माण पर बड़ा प्रभाव पड़ा। दुनिया के कई देश महिलाओं को अधिकार नहीं दे सके। भारत में महिलाओं को वोट का अधिकार शुरू से दिया गया।
कांग्रेस परिवार ने संविधान को चोट पहुंचाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी : पीएम मोदी ने कहा कि तथ्यों को देश के सामने रखना जरूरी है. कांग्रेस के एक परिवार ने संविधान को चोट पहुंचाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है. मैं इसलिए इस परिवार का उल्लेख करता हूं क्योंकि इस देश में 50 साल एक ही परिवार ने राज किया है. इसलिए देश को यह जानने का अधिकार है. इस परिवार के कुरीति, कुनीति, कुविचार निरंतर चल रही है.
1947 से 1952 तक एक अस्थायी व्यवस्था थी. चुनाव नहीं हुए थे. 1952 के पहले राज्यसभा का भी गठन नहीं हुआ था. उसके बावजूद भी 1951 में जब चुनी हुई सरकार नहीं थी, उन्होंने विधेयक लाकर संविधान को बदल दिया. तब अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला कर दिया गया. ये संविधान निर्माताओं का अपमान था.
संविधान की वजह से ही हम यहां तक पहुंचे : पीएम मोदी ने कहा कि मैं तो संविधान के प्रति विशेष आदर का भाव व्यक्त करना चाहता हूं. मेरे जैसे अनेक लोग जो यहां नहीं पहुंच पाते, लेकिन ये संविधान था जिसके कारण हम यहां तक पहुंचे. ये संविधान का सामर्थ था और जनता ने आशीर्वाद था.
कांग्रेस के माथे का पाप कभी धूलने वाला नहीं है : पीएम ने कहा कि हमारे संविधान की अपेक्षा एकता की है. मातृभाषा को दबाकर देश के जनमानस को संस्कारित नहीं कर सकते हैं. नई शिक्षा नीति में मातृभाषा को जगह दी गई है. काशी-तमिल संगमम आज एक बहुत बड़ा संस्थागत हुआ है. ये समाज को मजबूती देने का प्रयास है.
संविधान के आज 75 साल हो रहे हैं, लेकिन हमारे यहां तो 25 साल, 50 साल का भी महत्व होता है, लेकिन जरा याद करें क्या हुआ था. हमारे देश में आपातकाल लाया गया. संविधान को नोच लिया गया. संवैधानिक व्यवस्थाओं को खत्म कर दिया गया. नागरिकों के अधिकारों को लूट लिया गया. कांग्रेस के माथे पर ये जो पाप है वो कभी धूलने वाला नहीं है.
पीएम मोदी ने कहा कि दूसरा कोट पढ़ रहा हूं राधाकृष्णन जी का। उन्होंने कहा था कि इस देश के लिए गणतांत्रिक व्यवस्था नई नहीं है। यह इतिहास की शुरुआत से ही है। तीसरा कोट मैं बाबासाहेब आंबेडकर का कह रहा हूं ऐसा नहीं है कि भारत के लोगों को पता नहीं है कि लोकतंत्र कैसा होता है। एक समय था जब भारत में कई गणतंत्र हुआ करते थे।
भारत का लोकतंत्र और अतीत बहुत ही समृद्ध रहा है। विश्व के लिए बहुत प्रेरक रहा है। इसीलिए भारत आज मदर ऑफ डेमोक्रेसी के रूप में जाना जाता है। मैं तीन महापुरुषों के कोट इस सदन के सामने पेश करना चाहता हूं। राजर्षि टंडन जी, उन्होंने कहा था कि सदियों के बाद हमारे देश में एक बार फिर ऐसी बैठक बुलाई गई है। यह हमारे मन में हमारे गौरवशाली अतीत की याद दिलाती है। जब हम स्वतंत्र हुआ करते थे, जब सभाएं आयोजित की जाती थीं, जब विद्वान लोग चर्चा के लिए मिला करते थे।
यह लोकतंत्र का उत्सव मनाने का अवसर : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि यह पूरे देश और हम सबके लिए गौरव का पल है। यह लोकतंत्र का उत्सव मनाने का अवसर है। संविधान के 75 वर्ष की यादगार यात्रा और लोकतंत्र की यात्रा के मूल में संविधान निर्माताओं की दिव्य दृष्टि और योगदान है। यह उत्सव मनाने का पल है। खुशी की बात है कि संसद भी इस उत्सव में शामिल होकर अपनी भावना प्रकट कर रहा है।
सभी सांसदों का आभार। 75 वर्ष की उपलब्धि साधारण नहीं है। जब देश आजाद हुआ, उस वक्त देश के लिए जो संभावनाएं थी, उन सभी संभावनाओं को निरस्त और परास्त करते हुए संविधान हमें यहां तक ले आया है। संविधान निर्माताओं के साथ मैं देश के नागरिकों को नमन करता हूं। संविधान निर्माताओं की भावना पर भारत का नागरिक हर कसौटी पर खरा उतरा।
संसद पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोकसभा में पहुंच गए हैं। अब से कुछ ही देर में वे संविधान पर चर्चा में भाग लेंगे। पीएम मोदी के सदन में पहुंचते ही भाजपा सांसदों ने नारे लगाए।
सांसद और आजाद समाज पार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद ने कहा कि जब हम संविधान की 75 साल की यात्रा की बात कर रहे हैं, तो उसके एक हिस्से में लिखा है इंडिया दैट इज भारत, अगर आप संविधान की चर्चा कर रहे हैं तो भारत बोलें, हिंदुस्तान नहीं। प्रस्तावना में लिखा है ‘वी द पीपल ऑफ इंडिया’, क्या हम भारतीय बन पाए हैं? क्या हम अपनी जाति, धर्म, संस्कृति से ऊपर उठकर भारतीय बन पाए हैं? क्या देश में फैली छुआछूत और भेदभाव खत्म हो पाया है? बहुत कुछ ऐसा है जो नहीं हुआ है, एक-दूसरे पर आरोप लगाने से कुछ नहीं होगा।