नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को लोकसभा में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर चर्चा का जवाब दिया। इस दौरान उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच जारी संघर्ष पर विराम लगाने यानी 10 मई को सैन्य कार्रवाई रोकने से पहले की रात को क्या-क्या हुआ? यह बताया। उन्होंने यह भी बताया कि कैसे पाकिस्तान घुटनों पर आया। उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का नाम लिए बिना साफ किया कि दुनिया के किसी भी नेता ने भारत को ऑपरेशन रोकने के लिए नहीं कहा। इसके अलावा पीएम मोदी ने सिंधु जल संधि का भी जिक्र किया और देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और कांग्रेस पार्टी की जमकर आलोचना की।
उन्होंने कहा, ‘9 तारीख की रात को अमेरिका के उपराष्ट्रपति ने मुझसे बात करने का प्रयास किया, वो घंटे भर कोशिश कर रहे थे, लेकिन मेरी सेना के साथ बैठक चल रही थी, तो मैं उठा नहीं पाया, लेकिन बाद में मैंने कॉल बैक किया। फिर अमेरिका के उपराष्ट्रपति जी ने मुझे बताया कि पाकिस्तान बहुत बड़ा हमला करने वाला है। इस पर मैंने कहा- अगर पाकिस्तान का ये इरादा है, तो उसे बहुत महंगा पड़ेगा। अगर पाकिस्तान हमला करेगा तो हम बड़ा हमला कर जवाब देंगे। आगे मैंने कहा था कि हम गोली का जवाब गोले से देंगे।’
पहलगाम आतंकी हमला, ऑपरेशन सिंदूर और सीजफायर : 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के 15 दिन बाद भारतीय सेना ने 7 मई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और पीओके में नौ आतंकी ठिकानों को तबाह किया था। जिसमें कई कुख्यात आतंकी भी मारे गए थे। इसके बाद दोनों देशों के बीच हालात बिगड़े और दो दशक बाद चरम पर पहुंच गए। वहीं पाकिस्तान की तरफ से भारत के शहरों को निशाना बनाए जाने के बाद, भारत की वायु रक्षा प्रणाली ने सभी को नाकाम करते हुए उसका माकूल जवाब दिया। भारत ने जवाबी कार्रवाई करते हुए पाकिस्तान के 14 सैन्य ठिकानों को ध्वस्त कर दिए। इससे घबराए पाकिस्तान ने 10 मई को भारत के सामने सीजफायर का प्रस्ताव रखा, जिसे दोनों देशों ने आपसी चर्चा के बाद लागू कर लिया।
सिंधु जल संधि का भी जिक्र किया : इससे पहले प्रधानमंत्री ने मंगलवार को कहा कि उनकी सरकार ने एक कड़ा फैसला लेते हुए सिंधु जल संधि को स्थगित कर दिया। इस तरह देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की ओर से की गई एक बड़ी भूल को सुधारा गया है। लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर 19 घंटे चली बहस में भाग लेते हुए पीएम मोदी ने 1960 में नेहरू सरकार की ओर से पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि पर हस्ताक्षर को भारत की गरिमा के साथ बड़ा विश्वासघात बताया।
‘भारत के हितों को गिरवी रखना कांग्रेस की पुरानी आदत’ : कांग्रेस सदस्यों के विरोध के बीच पीएम मोदी ने कहा, ‘भारत के हितों को गिरवी रखना कांग्रेस की पुरानी आदत रही है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण सिंधु जल संधि है। इस संधि पर किसने हस्ताक्षर किए थे? नेहरू ने किए थे और भारत से निकलने वाली और पाकिस्तान में बहने वाली नदियों के 80 प्रतिशत पानी पर अधिकार प्रदान किया था।’
सिंधु जल संधि को स्थगित कर दिया : प्रधानमंत्री ने कहा कि एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए भारत ने अपने नागरिकों और किसानों के सर्वोत्तम हित में सिंधु जल संधि को स्थगित कर दिया है। उन्होंने कहा, ‘भारत ने दृढ़ता से अपना रुख स्पष्ट कर दिया है कि खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते।’ पीएम मोदी ने कहा, ‘पिछली कांग्रेस-नीत सरकारों ने सिंधु जल संधि की उपेक्षा की और नेहरूजी के शासनकाल में हुई गलतियों को सुधारने में विफल रहीं। हालांकि, आज भारत ने उन गलतियों को सुधारने के लिए निर्णायक कदम उठाए हैं।’
‘यह कैसी कूटनीति है?’ : उन्होंने कहा कि भारत को अपनी पहचान सिंधु नदी से मिलती है, लेकिन नेहरू और कांग्रेस ने सिंधु और झेलम के पानी के बंटवारे का फैसला विश्व बैंक को करने दिया। पीएम मोदी ने पूछा, ‘नेहरू ने इस संधि पर हस्ताक्षर किए थे, जिसके तहत पाकिस्तान को 80 प्रतिशत और भारत जैसे बड़े देश को 20 प्रतिशत पानी का अधिकार दिया गया था। यह कैसी कूटनीति है?’
‘संधि के कारण देश में अंतरराज्यीय जल विवाद पैदा हुए’ : उन्होंने कहा कि अगर इस संधि पर हस्ताक्षर नहीं किए गए होते तो पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली जैसे राज्यों के किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए पश्चिम की ओर बहने वाली नदियों पर कई परियोजनाएं बनाई जा सकती थीं। पीएम मोदी ने कहा, ‘भारत ज्यादा बिजली पैदा कर सकता था और पेयजल की कमी की समस्या का समाधान कर सकता था।’ उन्होंने तर्क दिया कि इस संधि के कारण देश में अंतरराज्यीय जल विवाद पैदा हुए।
‘नेहरू को एहसास हुआ कि समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं’ : प्रधानमंत्री ने सिंधु और अन्य नदियों पर नहरें बनाने के लिए पाकिस्तान को करोड़ों रुपये देने और इन नदियों पर अपने क्षेत्र में बने बांधों से गाद निकालने के भारत के अधिकार को छोड़ने के लिए नेहरू की आलोचना की। पीएम मोदी ने कहा कि नेहरू ने बाद में अपनी गलती स्वीकार की थी और कहा था कि उनका मानना है कि सिंधु जल संधि से पाकिस्तान के साथ अन्य समस्याओं का समाधान निकलेगा। उन्होंने कहा कि लेकिन उन्हें (नेहरू को) एहसास हुआ कि समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं। 22 अप्रैल को हुए पहलगाम आतंकवादी हमले के जवाब में भारत ने 23 अप्रैल को सिंधु जल संधि को स्थगित करने का ऐलान किया था।