नई दिल्ली : ईरान-इजरायल संघर्ष के बीच अमेरिका की तरफ से ईरान पर हमला किया गया। वहीं आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन से टेलीफोन पर बातचीत की है। इस दौरान दोनों नेताओं ने पश्चिमी एशियाई क्षेत्र में बढ़ते तनाव और हालिया घटनाक्रमों पर गंभीर चर्चा की।
प्रधानमंत्री मोदी ने इस बातचीत की जानकारी एक्स पर एक पोस्ट में साझा की है। पीएम मोदी ने लिखा- हमने वर्तमान स्थिति पर विस्तार से चर्चा की। हालिया तनावों पर गहरी चिंता व्यक्त की। तुरंत तनाव कम करने, संवाद और कूटनीति को आगे बढ़ाने का आह्वान दोहराया, ताकि क्षेत्र में शांति, सुरक्षा और स्थिरता शीघ्र बहाल हो सके। बातचीत के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने क्षेत्रीय शांति, स्थिरता और आपसी सहयोग को प्राथमिकता देने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि भारत हमेशा से यह मानता रहा है कि संवाद और कूटनीति ही किसी भी संकट का समाधान हैं।
पीएम मोदी और मसूद पेजेशकियन के बीच यह बातचीत ऐसे समय में हुई है जब पश्चिम एशिया में तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय की नजरें क्षेत्र में शांति की बहाली पर टिकी हैं।
पीएम मोदी से 45 मिनट हुई बातचीत : ईरानी परमाणु केंद्रों पर अमेरिकी हमले के मद्देनजर ईरानी राष्ट्रपति पेजेशकियन ने यह कॉल की थी। राष्ट्रपति ने पीएम मोदी को मौजूदा स्थिति के बारे में विस्तार से जानकारी दी। यह कॉल 45 मिनट तक चली। राष्ट्रपति ने भारत को क्षेत्रीय शांति, सुरक्षा और स्थिरता को बढ़ावा देने वाला मित्र और साझेदार बताया और भारत के रुख और तनाव कम करने, संवाद और कूटनीति के आह्वान के लिए प्रधानमंत्री मोदी को धन्यवाद दिया। क्षेत्रीय शांति और स्थिरता की बहाली में भारत की आवाज और भूमिका महत्वपूर्ण थी।
ईरान के राष्ट्रपति मसूद पजशकियान ने अमेरिका पर ईरान के खिलाफ हमलों का मुख्य जिम्मेदार होने का आरोप लगाया है। सरकारी समाचार एजेंसी इरना के अनुसार, पेजेशकियन ने कहा कि अमेरिका हमेशा हमले के पीछे रहा, लेकिन ईरान की सेनाओं के आगे और इस्राइल कमजोर पड़ने पर अमेरिका का चेहरा बेनकाब हो गया।
अमेरिकी हमलों ने बढ़ाया खतरा : उधर, संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा कि वह संयुक्त राज्य अमेरिका के हमलों से गंभीर रूप से चिंतित हैं। अब इस बात का खतरा बढ़ रहा है कि इस्राइल-ईरान संघर्ष तेजी से नियंत्रण से बाहर हो सकता है। इसके नागरिकों, क्षेत्र और दुनिया के लिए भयावह परिणाम होंगे। मैं सदस्य देशों से तनाव कम करने का आह्वान करता हूं। कोई सैन्य समाधान नहीं है। आगे बढ़ने का एकमात्र रास्ता कूटनीति है।