नई दिल्ली : अभी ज्यादा समय नहीं हुआ जब कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो लगातार भारत के खिलाफ भड़काऊ काम करते दिख रहे थे. उनकी कुर्सी चली गई.. ट्रंप ने तो भरी महफिल में बेइज्जती कर दी. लेकिन अब लगता है कि वहां के नए पीएम ट्रूडो से कुछ सबक ले रहे हैं. इसी कड़ी में कनाडा पुलिस ने प्रोजेक्ट पेलिकन नाम से एक बड़ा ऑपरेशन चलाकर ड्रग्स तस्करी से जुड़े एक अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क का भंडाफोड़ किया है जिसकी जड़ें खालिस्तानी गतिविधियों से जुड़ी बताई जा रही हैं.
बताया जा रहा है कि यहां भारत विरोधी तमाम हरकतें हो रही थीं. यह सब तब हुआ जब पीएम मोदी जी 7 के लिए कनाडा जाने वाले हैं. असल में इंटरनेशनल मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस कार्रवाई में अब तक 479 किलो कोकीन जब्त की गई है. जिसकी कीमत करीब 47.9 मिलियन डॉलर आंकी गई है. पुलिस ने नौ लोगों को गिरफ्तार किया है जिनमें सात भारतीय मूल के हैं और कनाडा में बसे हुए हैं. यह अब तक की सबसे बड़ी ड्रग्स बरामदगी मानी जा रही है.
यहां सबसे जरूरी बात है कि यह कार्रवाई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जी7 शिखर सम्मेलन में शामिल होने से पहले हुई है. इस यात्रा को कनाडा के लिए भारत के साथ संबंधों को फिर से पटरी पर लाने का संकेत माना जा रहा है. एक्सपर्ट्स का मानना है कि कनाडा ने भी संकेत दिए हैं कि वह संबंधों को पटरी पर लाने को इच्छुक है.
रिपोर्ट्स के मुताबिक यह नेटवर्क अमेरिका से कनाडा तक ट्रकों के जरिए ड्रग्स की तस्करी करता था और इसके तार मैक्सिकन ड्रग कार्टेल्स से जुड़े हुए हैं. इस तस्करी से मिलने वाले पैसे का इस्तेमाल भारत विरोधी गतिविधियों, खालिस्तान आंदोलन के लिए जनमत संग्रह, विरोध प्रदर्शन और हथियारों की खरीद के लिए किया जा रहा था.
इतना ही नहीं चौंकाने वाली बात यह भी है खुफिया एजेंसियों का दावा है कि पाकिस्तान की आईएसआई इस पूरे तंत्र को फंड कर रही है. अफगानिस्तान में उगाई जा रही हेरोइन और अमेरिका में पकड़ी गई कोकीन इसी रणनीति का हिस्सा है जिसके जरिए भारत के खिलाफ साजिशें रची जा रही हैं. साथ ही पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों ने बताया कि जांच के दौरान कनाडा और अमेरिका की कई एजेंसियों ने साथ मिलकर ट्रकों, स्टोरेज यूनिट्स और संदिग्ध व्यक्तियों की पहचान की.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जी7 यात्रा से भी इस कार्रवाई को जोड़कर देखा जा रहा है. कनाडा में नई सरकार के सत्ता में आने के बाद यह पहला बड़ा सुरक्षा ऑपरेशन है जो भारत से रिश्तों को सुधारने की दिशा में उठाया गया कदम माना जा सकता है. पिछली ट्रुडो सरकार पर खालिस्तानियों को संरक्षण देने के आरोप लगे थे जिससे भारत-कनाडा संबंध बेहद तनावपूर्ण हो गए थे. अब मोदी की ओटावा यात्रा से ठीक पहले इस तरह की कार्रवाई यह संकेत दे रही है कि नई सरकार भारत के साथ संबंधों को मजबूत करने की दिशा में गंभीर है.