कथावाचक प्रदीप मिश्रा का भगवान श्री चित्रगुप्त पर अमर्यादित बोल, कायस्थ समाज में बढ़ा आक्रोश

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सीहोर : जाने-माने कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा एक बार फिर विवादों में घिर गए हैं। उन्होंने महाराष्ट्र में अपनी कथा के दौरान धर्मराज यमराज और भगवान श्री चित्रगुप्त का मजाक बनाते हुए उन्हें ‘मुच्छड़’ कहकर संबोधित किया। उनकी इस टिप्पणी से कायस्थ समाज में आक्रोश फैल गया। विरोध बढ़ने पर पंडित मिश्रा को एक बार फिर माफी मांगनी पड़ी। मंगलवार को उन्होंने मीडिया के समक्ष क्षमा याचना की। बता दें कि इससे पहले पंडित प्रदीप मिश्रा राधा रानी को लेकर भी विवादित बयान दे चुके हैं। जिसका पूरे देश में विरोध हुआ था।

क्या है पूरा मामला? : दरअसल, महाराष्ट्र में कथा के दौरान पंडित प्रदीप मिश्रा ने धर्मराज यमराज और भगवान श्री चित्रगुप्त जी का परिहास करते हुए उन्हें ‘मुच्छड़’ कहकर संबोधित किया। उन्होंने कहा- ‘अरे ऐ चित्रगुप्त! तू सबका हिसाब रखना, पर मेरा मत रखना’। उनकी इस टिप्पणी को न केवल असंवेदनशील, बल्कि सनातन धर्म के आराध्य देवताओं का अपमान भी माना गया था।

इस वीडियो सामने आने के बाद अखिल भारतीय कायस्थ महासभा, मध्य भारत के प्रदेश अध्यक्ष सुनील श्रीवास्तव ने कहा कि यह टिप्पणी अमर्यादित, आपत्तिजनक और सम्पूर्ण कायस्थ समाज की आस्था को ठेस पहुंचाने वाली है। महासभा इसकी कड़ी निंदा करती है। कायस्थ समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष द्वारा इस मामले में संज्ञान लेते हुए कानूनी और सामाजिक कार्रवाई के स्पष्ट निर्देश जारी किए गए हैं। साथ ही सभी जिला और ब्लॉक इकाइयों को निर्देशित किया गया है कि वे संगठित होकर विरोध दर्ज करें, ज्ञापन सौंपें और विधिक कार्रवाई भी सुनिश्चित कराएं। उन्होंने कहा था कि अगर, पंडित प्रदीप मिश्रा सार्वजनिक रूप से माफी नहीं मांगते हैं, तो देशभर में कायस्थ समाज उनका विरोध करेगा।

विरोध के बाद क्या बोले पंडित मिश्रा? : मंगलवार को पंडित मिश्रा ने मीडिया के सामने आए। उन्होंने अपनी टिप्पणी को लेकर कहा- ऐसा नहीं है कि किसी समाज या व्यक्ति विशेष को कोई बात कही गई हो। यह प्रसंग शिव महापुराण की कथा का हिस्सा था, जो महाराष्ट्र में चल रही थी। उसमें यमराज, चित्रगुप्त महाराज और भगवान शिव की भक्ति से जुड़ा एक प्रसंग चल रहा था। फिर भी यदि किसी व्यक्ति या समाज को मेरी वाणी से ठेस पहुंची हो, तो मैं क्षमा चाहता हूं। मेरी मंशा किसी के हृदय को ठेस पहुंचाने की नहीं थी। शिव महापुराण सदा जगत कल्याण की बात करता है। यदि मेरी वाणी से किसी को आघात पहुंचा है, तो मैं क्षमा प्रार्थी हूं।

बार-बार माफी क्यों मांगनी पड़ रही है? : इस सवाल पर पंडित मिश्रा ने कहा- कोई भी प्रसंग हम शास्त्रों या पुराणों से ही लेते हैं। कई बार हम ब्रह्मविवर्त पुराण, उत्तरकांड जैसे ग्रंथों से प्रसंग उठाते हैं। संतजन सत्संग में जो कहते हैं, वह उनके अध्ययन का हिस्सा होता है। परंतु यह संभव है कि कुछ लोगों को वे बातें याद न हों या उन्होंने पढ़ी न हों, जिससे उन्हें वह असंभव लगती हैं। किसी के हृदय को ठेस पहुंचाना या किसी को अपमानित करना किसी वक्ता या व्यासपीठ का उद्देश्य नहीं होता। कायस्थ समाज भी हमारा समाज है। हम चारों वर्णों—ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र को समान रूप से सम्मान देते हैं। हमारी व्यासपीठ से कभी भी किसी समाज के प्रति अपमानजनक टिप्पणी नहीं की गई।

राधारानी पर क्या बोल गए थे पंडित मिश्रा : पंडित प्रदीप मिश्रा ने साल 2024 में एक कथा के दौरान कहा था- राधाजी बरसाना नहीं, बल्कि रावल गांव की रहने वाली थीं। बरसाना में उनके पिता की कचहरी थी। वहां पर वे साल में एक बार जाती थी। वर्ष में एक बार आना, यानि बरसाना। उन्होंने यह भी कहा था कि भगवान श्रीकृष्ण की 16 हजार रानियों में राधा का नाम नहीं है। उनके पति में श्रीकृष्ण का नाम नहीं है। राधाजी के पति का नाम अनय घोष, उनकी सास का नाम जटिला और ननद का नाम कुटिला था। राधाजी की शादी छाता गांव में हुई थी। पंडित मिश्रा के इस बयान पर देशभर में उनका विरोध शुरू हो गया। प्रेमानंद महाराज ने भी उनके इस बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया दी थी। इसके बाद उन्होंने श्री राधा रानी के बरसाना मंदिर में पहुंचकर नाक रगड़कर माफी भी मांगी थी।

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