RSS : वाढा समुदाय पूजा की जगह पढ़ते थे नमाज, शादी के बदले निकाह; संघ के प्रयास से बदली तस्वीर

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नई दिल्ली : पश्चिमी कच्छ के पाकिस्तान सीमावर्ती क्षेत्र के मुस्लिम बहुल बन्नी इलाके से जुड़े वाढा हिंदू समुदाय दशकों से अपने धर्म से जुड़ी परंपरा, पूजा पद्धति और संस्कृति छोड़ चुके थे। इस समुदाय में हिंदू रीति से शादी की जगह निकाह पढ़ाया जाने लगा था। दशकों बाद संघ के प्रयास से इस समुदाय ने हिंदू पूजा पद्धति अपनाई। इसके अलावा पहली बार बीते साल 8 दिसंबर को संघ के प्रयास से यहां सामूहिक विवाह का आयोजन किया गया।

संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की शुक्रवार से शुरू हुई बैठक में इसकी जानकारी सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने वार्षिक प्रतिवेदन के माध्यम से दी। प्रतिवेदन के जरिए उन्होंने बताया कि संघ के प्रयास से बन्नी इलाके में मंदिरों का निर्माण और शिक्षा देने का सिलसिला शुरू हुआ है। इस समुदाय के जीवन स्तर को सुधारने के लिए इस इलाके के चार गांवों में व्यापक सहयोग के जरिए 65 परिवारों को पक्का मकान मुहैया कराया गया है। प्रतिवेदन में कहा गया है कि पाकिस्तान के इस सीमावर्ती इलाके के वाढा समुदाय इलाके के बहुसंख्यक मुसलमानों के प्रभाव, गरीबी, अशिक्षा के कारण हिंदू धर्म की परंपरा त्याग कर इस्लामिक परंपरा अपना चुके थे। इन समुदायों में हिंदू रीति से शादी की जगह निकाह पढ़ाया जाता था। शव का दाह संस्कार की जगह उसे दफनाया जाता था। यहां तक कि इनके नाम, इनका पहनावा, पूजा पद्धति सबकुछ इस्लामिक हो चुका था।

सेवा विभाग ने शुरू की थी मुहिम…इस आशय की सूचना मिलने के बाद संघ के सेवा विभाग ने बदलाव की मुहिम शुरू की। इस मुहिम के तहत इस समुदाय को शिक्षा से जोड़ने के बाद फिर से हिंदू पद्धति अपनाने के लिए राजी किया गया। इनका जीवन स्तर सुधारने, सफाई के प्रति जागरुकता लाने के तमाम प्रयास किए गए। इसके बाद पहली बार इस इलाके में हिंदू रीति से सामूहिक विवाद का आयोजन किया गया।

बांग्लादेशी हिंदुओं के साहस की सराहना : प्रतिवेदन में बांग्लादेश की स्थिति पर गहरी चिंता जताते हुए वहां सत्ता परिवर्तन के बाद मजहबी कट्टरपंथियों द्वारा हिंदू समाज और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों पर हुए बर्बरतापूर्ण हमले की निंदा की गई है। हिंदू समाज का बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के समर्थन में खड़ा होने का आह्वान करते हुए कहा गया है कि इनके मानवाधिकारों की रक्षा के लिए एकजुटता जरूरी है। इसके लिए बैठक में बांग्लादेश सरकार पर दबाव बनाने की रणनीति भी तैयार की जाएगी। प्रतिवेदन में बांग्लादेश के हिंदुओं के साहस की प्रशंसा की गई है। कहा-गया कि जिन हालात में वहां हिंदू अत्याचार का सामना कर रहे हैं व सराहनीय है। 

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