नई दिल्ली : भारतीय मान्यताओं में सृष्टि के पालनहार श्रीहरि विष्णु के सबसे प्रमुख अस्त्र सुदर्शन की कई खूबियों का वर्णन है. इन्हीं में से एक कथा ऐसी है कि सुदर्शन चक्र किसी की तरह के हमले को ऊपर ही रोक देता है और रक्षा करता है. अब जबकि भारत पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर है तो सुदर्शन नाम चर्चा में है. इसका कारण है भारतीय डिफेंस सिस्टम का मजबूत होना. इसकी तुलना सुदर्शन से इसलिए भी की जा रही है क्योंकि भारत ने अपने एक डिफेंस सिस्टम का नाम सुदर्शन ही रखा है. भारतीय सेना के इस पराक्रम ने सुदर्शन को तो चर्चा में ला दिया है साथ ही एक्सपर्ट यह भी कह रहे हैं कि भारत ने दुश्मन के ड्रोन्स और मिसाइलों को रोकने के क्रम में इजरायल वाली पिक्चर दिखा दी है.
असल में बीती रात और उससे पहले दिन में भी पाकिस्तान की तरफ से कई भारतीय ठिकानों को निशाना बनाने की कोशिश की गई लेकिन भारत के एयर डिफेंस सिस्टम ने इन सभी हमलों को विफल कर दिया. इंडियन आर्मी ने खुद पुष्टि की है कि लाहौर में तैनात एक एयर डिफेंस सिस्टम को सफलतापूर्वक निष्क्रिय कर दिया गया. सेना ने अपने बयान में कहा भारतीय जवाब उतनी ही तीव्रता और उसी क्षेत्र में रहा जितना पाकिस्तान का हमला था.
आधुनिक युद्ध में हवा में नियंत्रण बेहद जरूरी है. एयर डिफेंस सिस्टम किसी भी देश की रक्षा व्यवस्था की रीढ़ होती है. इसका मुख्य कार्य दुश्मन के लड़ाकू विमान ड्रोन और मिसाइल जैसे खतरों को हवा में ही रोकना है. बीती रात भारत ने साबित कर दिया कि उसका एयर डिफेंस सिस्टम न केवल चौकस है बल्कि किसी भी हमले का जवाब देने में पूरी तरह सक्षम भी है. इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक दूसरी तरफ पाकिस्तान की सुरक्षा ढांचा इस स्तर की तैयारी नहीं दिखा पाया. इजरायल भी अपने आयरन डोम के साथ यही करता है और दुश्मन के हमले को हवा में ही खत्म कर देता है.
एयर डिफेंस तीन मुख्य हिस्सों में काम करता है. डिटेक्शन, ट्रैकिंग और इंटरसेप्शन. सबसे पहले रडार और सेंसर के ज़रिए खतरे की पहचान होती है. जैसे कोई फाइटर जेट या मिसाइल. इसके बाद सिस्टम उस खतरे को ट्रैक करता है. यानी उसकी गति, दिशा और ऊंचाई जैसे डाटा को लगातार मापता है. अंत में जब खतरा नजदीक आता है तो उसे या तो लड़ाकू विमान सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें (SAMs) या इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर से नष्ट कर दिया जाता है.
भारत के पास कई लेयर वाला एयर डिफेंस नेटवर्क है. इसमें लॉन्ग रेंज के लिए रूस से मिला S-400 सिस्टम है जो 400 किमी तक लक्ष्य भेद सकता है. इसी का नाम भारत ने सुदर्शन रखा है. मिड रेंज के लिए भारत के अपने ‘आकाश’ मिसाइल और इजरायली ‘बराक’ सिस्टम हैं. शॉर्ट रेंज सुरक्षा के लिए MANPADS और एंटी-एयरक्राफ्ट गन हैं जो ड्रोन और हेलिकॉप्टर जैसे नजदीकी खतरों को रोकते हैं. इसके अलावा भारत के पास राफेल, तेजस, मिग-29 जैसे मल्टीरोल लड़ाकू विमान भी हैं जो तुरंत इंटरसेप्शन के लिए तैनात किए जा सकते हैं.
यह संयोग ही है जब भारत ने पाकिस्तान के एयर डिफेंस सिस्टम पर सीधा पलटवार किया है. उसने दिखा दिया कि युद्ध के पहले चरण में ही हवा पर नियंत्रण हासिल करना कितना जरूरी है. पाकिस्तानी सिस्टम को निष्क्रिय करना इस बात का संकेत है कि यदि हालात और बिगड़ते हैं तो भारत को हवाई हमलों में बढ़त हासिल होगी. यह रणनीति SEAD कहलाती है. यानी दुश्मन की एयर डिफेंस को दबाना ताकि भविष्य के ऑपरेशन बहुत ही आसानी से हो सकें. भारत और भारतीय सेना फिलहाल इसमें बढ़त पर है.