नई दिल्ली : भारतीय नौसेना को जल्द ही एक नया और आधुनिक युद्धपोत मिलने जा रहा है. इस वॉरशिप का नाम है तमाल, जिसे 1 जुलाई 2025 को रूस के कालिनिनग्राद शहर में नौसेना में शामिल किया जाएगा. इस खास मौके पर उप एडमिरल संजय जे. सिंह, जो पश्चिमी नौसेना कमान के प्रमुख हैं, मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद रहेंगे.
तमाल को भारत-रूस के मिलकर बनाए डिजाइन से तैयार किया गया है. इसमें 33 से ज्यादा भारतीय उपकरण और सिस्टम लगाए गए हैं. इसके निर्माण की निगरानी भारत की वॉरशिप ओवरसीइंग टीम ने रूस में रहकर की.
क्या है ‘तमाल’ :
तमाल एक स्टील्थ (रडार से बचने वाला) और मल्टी-रोल युद्धपोत है.
यह रूस से मिलने वाली क्रिवाक क्लास फ्रिगेट्स की सीरीज का 8वां और अंतिम वॉरशिप है.
यह तुषिल क्लास का हिस्सा है, जो पहले के तलवार और तेग क्लास से ज्यादा आधुनिक है.
भारत दो ऐसे ही वॉरशिप गोवा शिपयार्ड में भी बना रहा है, जिनमें रूस की तकनीकी मदद मिल रही है.
क्यों खास है ‘तमाल’ :
इसका 26% हिस्सा भारत में बना है, जिसमें ब्रह्मोस मिसाइल जैसी घातक तकनीक शामिल है.
यह सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें, भारी टॉरपीडो, सबमरीन रॉकेट और कई रडार से लैस है.
इसमें हेलिकॉप्टर ऑपरेशन की सुविधा, इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम और नेटवर्क आधारित लड़ाकू तकनीक भी मौजूद है.
यह करीब 125 मीटर लंबा और 3900 टन वजनी है और इसकी स्पीड 30 नॉट्स से ज्यादा है.
इसका नाम तमाल भगवान इंद्र की पौराणिक तलवार से प्रेरित है. इसका प्रतीक चिह्न जाम्बवन्त नामक पौराणिक भालू और रूसी ब्राउन बियर के मेल से बना है. इसके सैनिक खुद को The Great Bears कहते हैं. इस वॉरशिप का मोटो है सर्वदा सर्वत्र विजय, यानी हर जगह, हर समय जीत, जो नौसेना की ताकत और संकल्प को सामने रखता है.
कहां तैनात होगा : ‘तमाल’ को शामिल करने के बाद यह भारतीय नौसेना के पश्चिमी बेड़े का हिस्सा बनेगा, जिसे स्वॉर्ड आर्म कहा जाता है. यह भारतीय नौसेना की शक्ति को और मजबूत करेगा और भारत-रूस की दोस्ती का एक और उदाहरण बनेगा.