नई दिल्ली : खाद्य सुरक्षा नियामक एजेंसी एफएसएसएआई (FSSAI) को चेन्नई के बाजारों में प्रतिबंधित चीनी लहसुन की बिक्री के बारे में शिकायतें मिली हैं और उसने तमिलनाडु सरकार को इस मामले की जांच करने का निर्देश दिया है. संसद के जरिए ये खबर देशवासियों को मिली. दरअसल संसद सत्र के बीच मंगलवार को केंद्र सरकार ने लोकसभा में ये अहम जानकारी दी. चीनी लहसुन के आयात पर सितंबर 2005 से उस वक्त से प्रतिबंध लगा हुआ है, जब भारत ने इस उत्पाद में फंगस एम्बेलिसिया एली और यूरोसाइटिस सेपुले पाया था.
कृषि राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) और राजस्व खुफिया निदेशालय (DRI) ने 2023-24 के दौरान 546 टन और 2024-25 के दौरान 507 टन चीनी लहसुन जब्त किया है.
उन्होंने कहा कि इसके अलावा, भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) को भी चेन्नई के बाजारों में चीनी लहसुन की बिक्री के बारे में शिकायत मिली है. FSSAI ने तमिलनाडु खाद्य सुरक्षा विभाग को निगरानी और निरीक्षण गतिविधियों के लिए निर्देश दिया है.
उन्होंने कहा कि कृषि विभाग के तहत सभी प्लांट क्वारंटीन स्टेशनों को देश में प्रतिबंधित चीनी लहसुन के आयात को रोकने के लिए आवश्यक उपाय करने का निर्देश दिया गया है. अब देखना होगा कि फूड सेफ्टी और स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया की मांग पर डीएमके की स्टालिन सरकार क्या एक्शन लेती है.
चाइनीज लहसुन में सामान्य कई लाभकारी गुणों का अभाव होता है. इसमें चमकदार सफेद रंग देने के लिए उसे क्लोरीनयुक्त किया जाता है, ताकि ये बिल्कुल सफेद हो और पहली नजर में लोगों को पसंद आ जाए. एग्रीकल्चर एक्सपर्ट्स के मुताबिक चीनी लहसुन में जिंक और आर्सेनिक जैसी हानिकारक धातुएं भी मिली होती हैं, जो कैंसर का कारक होती हैं. बच्चों में क्लोरीन और आर्सेनिक युक्त चीनी लहसुन खाने से स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है. इसके अलावा इसमें सिंथेटिक की भी मात्रा पाई जाती है, जो लीवर के लिए काफी नुकसानदायक है. इसलिए इसकी सेल पर पूरी तरह से रोक लगाने की मांग हो रही है.
चीनी लहसुन का साइज आमतौर पर भारतीय लहसुन के आकार से बड़ा होता है. चीनी लहसुन चमकीला सफेद या गुलाबी रंग का होता है. चीनी लहसुन पहचानना आसान है, इसका रंग, आकार, और गंध देसी लहसुन से अलग होती है. देसी लहसुन की कलियां रगड़ने पर हाथों पर हल्की चिपचिपाहट सी होती है. वहीं चीनी लहसुन में ऐसा नहीं होता. सबसे बड़ी बात ये सस्ता होता है, इसलिए इसे नेपाल और बांग्लादेश के रास्ते से तस्करी करके भारतीय बाजारों में बेच कर फायदा उठाया जाता है.