नई दिल्ली : नकली नोटों के 12 साल पुराने मामले में वांछित आरोपी को आखिरकार संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने भारत को सौंप दिया। यह कार्रवाई केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) के समन्वय और राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की मांग पर की गई। आरोपी के प्रत्यर्पण के बारे में शुक्रवार को अधिकारियों ने जानकारी दी।
आरोपी का नाम मोइदीनब्बा उमर बेरी है, जिसे NIA की कोच्चि शाखा ने जाली भारतीय मुद्रा नोट (एफआईसीएन), धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश के मामले में वांछित घोषित किया था। बेरी कई वर्षों से फरार था और उसके खिलाफ इंटरपोल ने 2013 में रेड कॉर्नर नोटिस भी जारी किया था। उसे शुक्रवार को फ्लाइट नंबर एआई-920 से दुबई से मुंबई के छत्रपति शिवाजी महाराज अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर लाया गया।
2015 में यूएई में गिरफ्तार किया गया था आरोपी : सीबीआई के प्रवक्ता के अनुसार, सीबीआई द्वारा एनसीबी-अबू धाबी के साथ इंटरपोल के माध्यम से पहले यूएई में आरोपी की पहचान की गई। वहां की एजेंसियों ने 2015 में उसे गिरफ्तार कर लिया था। तब से बेरी के प्रत्यर्पण की कार्रवाई चल रही थी, जो अब पूरी हो गई है।
केरल के कासरगोड जिले से बरामद हुए नकली नोट : आरोप है कि बेरी ने दुबई में नकली भारतीय नोट खरीदे और उन्हें शारजाह के रास्ते बंगलूरू लाया। NIA की जांच में सामने आया कि उसने 31 लाख रुपये के नकली नोट मंगवाए थे। इन नोटों को भारत में फैला दिया, खासकर केरल के कासरगोड जिले में। एनआईए ने कहा कि कासरगोड जिले में चार अलग-अलग स्थानों से नकली नोटों की बरामदगी के तुरंत बाद, उसने बेरी का पासपोर्ट रद्द करवा दिया और रेड कॉर्नर नोटिस भी जारी कर दिया।
एनआईए ने अब तक छह आरोपियों के खिलाफ की कार्रवाई : एनआईए ने मामले की जांच में खुलासा किया कि कर्नाटक के उडुपी जिले के मूल निवासी बेरी ने सह-आरोपी के साथ मिलकर यूएई से 31 लाख रुपये मूल्य के उच्च गुणवत्ता वाले एफआईसीएन खरीदने की साजिश रची। एफआईसीएन को एक अन्य आरोपी उस्मान बंगलूरू के रास्ते विमान से भारत में तस्करी करके लाया था। इसके बाद आरोपी ने कासरगोड जिले और उसके आसपास के इलाकों में एफआईसीएन का प्रसार किया। एनआईए ने अब तक बेरी समेत छह आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप पत्र दाखिल किया है।