यूपी : अवैध धर्मान्तरण मामले में जमालुद्दीन उर्फ छांगुर पर खुलासा, नेपाल के रास्ते मुस्लिम देशों से मंगाता था पैसे

UP-Chhangur-Muslim-Funding

लखनऊ : हिंदू युवतियों के धर्म परिवर्तन, लव जिहाद और राष्ट्र विरोधी गतिविधियों के आरोप में गिरफ्तार जमालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा को बीते तीन वर्षों में करीब 500 करोड़ रुपये की विदेशी फंडिंग हुई है। इसमें से अभी बस 200 करोड़ की ही पुष्टि हो सकी है। सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार शेष 300 करोड़ रुपये का लेनदेन नेपाल के माध्यम से हुआ है।

फंडिंग के लिए काठमांडू सहित नेपाल के सीमावर्ती जिलों नवलपरासी, रुपनदेही व बांके में 100 बैंक खाते खुलवाए गए। उन्हीं में धर्म परिवर्तन कराने के लिए पाकिस्तान, दुबई, सऊदी अरब व तुर्किए से पैसे भेजे गए। एजेंट चार से पांच प्रतिशत कमीशन पर नेपाल के बैंक खातों से पैसे निकालकर सीधे छांगुर तक पहुंचा देते थे। इसमें कैश डिपॉजिट मशीन (सीडीएम) की भी मदद ली जाती थी।

रायबरेली में पकड़े गए साइबर अपराधियों को भी इसी कड़ी का एक हिस्सा बताया जा रहा है, जिनके तार पाकिस्तान और दुबई से भी जुड़े हैं। इस गिरोह ने करीब 700 करोड़ रुपये का लेनदेन किया है। इन्होंने अयोध्या के साथ ही लखनऊ, बलरामपुर व गोंडा में भी करोड़ों रुपये भेजे हैं।

नेपाली करेंसी को भारत में बदलवाते थे : सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार छांगुर के नेटवर्क से जुड़े लोग पहले विदेश से नेपाल के अलग-अलग बैंक खातों में रकम ट्रांसफर करते थे। वहां से नेपाली करेंसी में रकम निकालकर भारत पहुंचाते थे। बहराइच, श्रावस्ती, बलरामपुर,  सिद्धार्थनगर, लखीमपुर खीरी और महराजगंज में बैठे मनी एक्सचेंजर से भारतीय मुद्रा में बदलवाते थे। इसके साथ ही छांगुर को बड़ी मात्रा में फंडिंग हुंडी के माध्यम से भी हुई है, जिसका विवरण न एटीएस के पास है और न ही दूसरी सुरक्षा एजेंसियों के पास। नेपाल से रकम लाने में बिहार के मधुबनी, सीतामढ़ी, पूर्णिया, किशनगंज, पूर्वी और पश्चिमी चंपारण, सुपौल निवासी एजेंट भी छांगुर की टीम की मदद करते थे।

अयोध्या में खर्च हुई सर्वाधिक रकम : हिंदुओं का धर्म परिवर्तन कराने और देश विरोधी गतिविधियों के लिए छांगुर की टीम ने सर्वाधिक खर्च अयोध्या जिले में किया है। 2023 में बिहार में पकड़े गए एक एजेंट ने भी इसका इनपुट दिया था, लेकिन जिम्मेदारों ने तब गंभीरता नहीं दिखाई थी।

छांगुर के गिरोह का अर्थशास्त्र :

  • जमालुद्दीन बने नवीन रोहरा के कुल छह बैंक खाते हैं। इनमें 34.22 करोड़ रुपये जमा हुए, जिन्हें एटीएस संदिग्ध मा न रही है।
  • नीतू से नसरीन बनी छांगुर की सबसे विश्वासपात्र है। उसके आठ बैंक खाते हैं, जिनमें 24 फरवरी से 28 जून 2021 तक कुल 13.90 करोड़ रुपये जमा हुए हैं।
  • छांगुर के स्थानीय स्तर पर अब तक छह बैंक खाते मिले हैं। एसबीआई के खाते में छह लाख रुपये विदेश से जमा हुए हैं। इसके अतिरिक्त उसके सऊदी अरब के शारजाह, यूएई, दुबई के मशरेक शहर में खोले गए बैंक खातों का रिकॉर्ड जांच एजेंसियों को नहीं मिल सका है।

15 साल से अवैध धर्मांतरण करा रहा था छांगुर, ईडी ने भी तेज की जांच : छांगुर बीते 15 वर्षो से हिंदुओं का गैरकानूनी तरीके से धर्म परिवर्तन कर रहा था। बृहस्पतिवार को एटीएस ने छांगुर और उसकी करीबी नीतू उर्फ नसरीन को लखनऊ जेल से रिमांड पर लेने के बाद पूछताछ शुरू की, जिसमें उसने यह खुलासा किया है। उन्हें जल्द बलरामपुर ले जाकर अवैध धर्मांतरण से जुड़े दस्तावेज बरामद करने की कोशिश है।

एडीजी कानून-व्यवस्था अमिताभ यश ने बताया कि रिमांड के दौरान छांगुर से उसके गिरोह के बाकी सदस्यों के बारे में जानकारी जुटाई जा रही है। साथ ही, उसकी संपत्तियों और विदेशी खातों से होने वाली फंडिंग का भी पता लगाया जा रहा है। छांगुर के खिलाफ दर्ज मुकदमे की जानकारी ईडी को भी भेजी गई है। इस मामले में पुणे निवासी मोहम्मद अहमद की भूमिका की जांच भी की जा रही है।

वहीं दूसरी ओर ईडी ने भी छांगुर और उसके सहयोगियों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। ईडी ने छांगुर और उसके करीबियों के 40 बैंक खातों की जानकारी जुटाने के बाद आयकर विभाग से संचालकों के बीते 10 वर्ष के आयकर रिटर्न का ब्योरा मांगा है।

तीन दिनों में ध्वस्त हुई कोठी : यूपी के बलरामपुर में धर्मांतरण का अड्डा बनी छांगुर की पांच करोड़ की कोठी पूरी तरह धराशायी कर दी गई। धर्मांतरण और राष्ट्र विरोधी गतिविधियों के आरोपी छांगुर ने यह कोठी वर्ष 2022 में नीतू उर्फ नसरीन के नाम से बनवाई थी। दो दिन पहले मंगलवार को इसके ध्वस्तीकरण की कार्रवाई शुरू की गई। 10 बुलडोजर तीन दिन में कोठी ढहा पाए। आखिर में मुख्य गेट को धराशाई कर दिया गया। यह गेट सुरक्षा को देखते हुए तैयार किया गया था। इस पर संगमरमर लगाया गया था।

एटीएस द्वारा छांगुर की गिरफ्तारी के बाद सरकारी बंजर जमीन पर बनाई गई कोठी ढहाने की कवायद शुरू की गई। पिलर पर बनी 40 कमरों की कोठी को गिराने में प्रशासन को काफी मशक्कत करनी पड़ी। एक मीटर भाग तोड़ने में एक घंटे से अधिक का समय लग रहा था। प्रतिदिन 10-10 घंटे बुलडोजर को चलाया गया। इसके बाद भी दो बिस्वा में बनी कोठी गिराने में तीन दिन लग गए। (साभार : अमर उजाला)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *