नई दिल्ली : दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र नगर में एक कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में तीन छात्रों की मौत हो गई. हादसे के बाद से दिल्ली के कई इलाकों में छात्र प्रदर्शन कर रहे हैं. वहीं हो-हल्ले के बीच प्रशासन भी अब चौकन्ना हो गया है. राजेंद्र नगर समेत अन्य कई कोचिंग और लाइब्रेरी बंद करवा दी गई हैं. ये एक्शन उन सेंटर्स पर लिया गया है जिनकी क्लास रूम बेसमेंट में चल रही थीं. मशहूर शिक्षक और दृष्टि आईएएस के संस्थापक विकास दिव्यकीर्ति की कोचिंग भी बंद कर दी गई है. घटना के कुछ दिनों बाद अब विकास दिव्यकीर्ति की तरफ से प्रेस विज्ञप्ति जारी की गई है.
दृष्टि आईएएस की तरफ से जारी इस विज्ञप्ति में कहा गया कि राजेंद्र नगर में हुई त्रासद घटना पर हम अपना पक्ष देरी से रख रहे हैं इसके लिए हमें खेद हैं. दिव्यकीर्ति ने कहा कि हम नहीं चाहते थे कि अधूरी जानकारी के आधार पर हम कुछ कहें. इस देरी के लिए हम क्षमा मांगते हैं. उन्होंने आगे लिखा कि 27 जुलाई को जो दुर्भाग्यपूर्ण घटना हुई, जिसमें 3 विद्यार्थियों की मौत हो गई, उनके प्रति हम गहरी संवेदना व्यक्त करते हैं. हम तीनों बच्चों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं और प्रार्थना करते हैं कि उनके परिवार को इस क्षति झेलने का हौसला मिले. विकास दिव्यकीर्ति ने आगे क्या कहा, जानिए प्वाइंट्स में.
हादसे में जिन बच्चों की जान गई उनके परिजनों से हमारा प्रत्यक्ष परिचय नहीं हुआ है. लेकिन दुख की इस घड़ी में हम पूरी तरह के उनके साथ हैं. अगर हम किसी भी तरह उनके लिए कुछ कर सकेंगे तो हम जरूर करेंगे.
इस दुर्घटना को लेकर विद्यार्थियों में जो रोष दिख रहा है, वह पूरी तरह से न्यायसंगत है. बहुत अच्छा होगा अगर इस रोष को सही दिशा मिले और सरकार कोचिंग संस्थाओं के लिये निश्चित दिशा निर्देश लागू करे. इस संबंध में हम सरकार के साथ सहयोग करने के लिए भी तैयार हैं.
कोचिंग संस्थानों से जुड़ी यह समस्या जितनी सरल दिखतीं हैं, उतनी है नहीं. इसके कई पक्ष हैं जिनके तार कानूनों की अस्पष्टता और अंतर्विरोध से जुड़ते हैं. DDA, MCD और दिल्ली फायर डिपार्टमेंट के नियमों में असंगति है. इसी तरह, ‘दिल्ली मास्टरप्लान-2021’, ‘नैश्नल बिल्डिंग कोड’, ‘दिल्ली फायर रूल्स’ और ‘यूनिफाइड बिल्डिंग बाई-लॉज़’ के प्रावधानों में भी काफी अंतर्विरोध है. ‘दिल्ली मास्टरप्लान-2021’ को छोड़कर किसी भी दस्तावेज़ में कोचिंग सेंटर्स के लिये साफ प्रावधान नहीं दिये गए हैं. हमें उम्मीद है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा नियुक्त समिति जब एक महीने में अपनी रिपोर्ट पेश करेगी तो उसमें इन बिंदुओं का समाधान मिल सकेगा.
हम पूरे विश्वास से कह सकते हैं कि टीम दृष्टि छात्रों की सुरक्षा को लेकर बहुत सतर्क रहती है. हमारी मैनेजमेंट में ‘फायर एन्ड सेफ्टी ऑफिसर’ का विशेष पद है जिसमें काम करने वाले अधिकारी नैशनल फायर सर्विस कॉलेज (नागपुर) से पढ़े हुए हैं और बड़े अस्पतालों और मॉल्स में 14 सालों तक, यही काम कर चुके हैं. हम हर सेंटर का नियमित रूप से सेफ्टी ऑडिट करते हैं. इसके अलावा, हर सेंटर के लिए एक-एक अधिकारी की ज़िम्मेदारी होती है कि वह रो सुरक्षा के 16 बिंदुओं को चेक करें और इसकी सूचना ‘बिल्डिंग मेंटेनेंस ग्रुप’ पर अपडेट करे. हमारे क्लासरूम जहां भी बने हुए हैं, उनमें आने-जाने के लिये कम से कम दो रास्ते हैं ताकि किसी भी आपात स्थिति में बच्चे सुरक्षित निकल सकें.
दिल्ली नगर निगम द्वारा पिछले कुछ दिनों में की गई कार्रवाई का हम स्वागत करते हैं .
इस समस्या का स्थायी समाधान यह है कि सरकार दिल्ली में तीन-चार इलाकों को चुनकर उन्हें कोचिंग सेंटर्स के लिये तय करे दे. अगर सरकार क्लासरूम्स, लाइब्रेरीज़, होस्टल खुद तैयार कराएगी तो न ज़्यादा किराए की समस्या रहेगी और न ही सुरक्षा से जुड़ी परेशानियों की.
इस मामले की जटिलता को समझने के लिए हम जल्द ही एक विस्तृत लेख और वीडियो भी जारी करेंगे. ऐसा इसलिए ताकि सभी विद्यार्थियों और अन्य लोगों को सभी पक्षों का अनुमान हो सके. हमें विश्वास है कि जब सारे पक्ष सामने होंगे, तब समाधान की सही राह निकलेगी जाने-अनजाने में हमारी टीम से कोई चूक हुई है तो हम उसके लिये फिर से खेद व्यक्त करते हैं.