नई दिल्ली : वक्फ (संशोधन) विधेयक लोकसभा से पास हो चुका है. आज इसे राज्यसभा में पेश किया जाएगा. वहां से भी मंजूर होने के बाद उसे हस्ताक्षर के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को भेजा जाएगा. उनके हस्ताक्षर और गजट नोटिफिकेशन के बाद यह विधेयक कानून बन जाएगा. आइए जानते हैं कि इस विधेयक के पास होने के बाद वक्फ बोर्डों के कामकाज में किस-किस तरह के सुधार आने वाले हैं.
वक्फ संशोधन बिल पास होने के बाद क्या होंगे बदलाव? :
विवादों के समाधान की निश्चित समय सीमा : विधेयक के अनुसार, देशभर में अलग-अलग बने वक्फ ट्राइब्यूनल्स को मजबूत किया जाएगा. ट्राइब्यूनल्स में जज बनने के लिए एक मानक चयन प्रक्रिया तय की जाएगी. विवादों के समाधान के लिए समय सीमा तय की जाएगी.
वक्फ संस्थाओं की ओर से अपनी अर्जित आय का 7 प्रतिशत वक्फ बोर्डों में अनिवार्य योगदान की सीमा घट जाएगी. इसे 7 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया गया है.
हर साल करवाना होगा ऑडिट : जिन वक्फ संस्थाओं की सालाना आय 1 लाख रुपये से ज्यादा होगी. उन्हें अपने खातों को राज्यों की ओर से तय लेखा परीक्षकों की ओर से ऑडिट करवाना होगा. जिससे पैसों का समुचित प्रबंधन किया जा सके और उसमें कोई घोटाला न हो.
केंद्र सरकार की ओर से एक केंद्रीकृत पोर्टल बनाया जाएगा. उस पर वक्फ की गई संपत्तियों का पूरा विवरण दर्ज किया जाएगा. साथ ही उन संपत्तियों का मैनेजमेंट को पारदर्शी व दक्षता से संचालित किया जाएगा.
विधेयक में प्रस्ताव है कि अपनी संपत्ति को वही मुसलमान वक्फ घोषित कर सकते हैं, जो पिछले 5 साल से लगातार इस्लाम को प्रैक्टिस कर रहे हैं. यह नियम 2013 से पहले भी था, जिसे कांग्रेस की मनमोहन सिंह सरकार ने खत्म कर दिया था.
महिलाओं को देना होगा अनिवार्य हिस्सा : बिल में प्रावधान है कि किसी व्यक्ति को अपने संपत्ति को वक्फ घोषित करने से पहले पत्नी, बेटी या बहन को उसका हिस्सा अनिवार्य रूप से देना होगा. जिससे संपत्ति चली जाने पर वह बेसहारा न हो जाए. इसके साथ ही साथ ही विधवाओं, तलाकशुदा महिलाओं और अनाथों के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं.
विधेयक के अनुसार, अगर वक्फ बोर्ड किसी सरकारी जमीन पर दावा करेगा तो कलेक्टर से ऊपर का अधिकारी इसकी जांच करेगा. अगर वह दावे से संतुष्ट होगा तो ही वह प्रॉपर्टी वक्फ घोषित हो सकेगी वरना दावा खारिज हो जाएगा.
ट्रिब्यूनल की मनमानी पर लगेगी लगाम : बिल में यह भी प्रस्ताव है कि समावेशिता और जमीन पर दावे की निष्पक्ष जांच करने के लिए सेंट्रल और स्टेट वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिमों को भी सदस्य के रूप में नॉमिनेट किया जाएगा.
पहले किसी मामले में वक्फ़ ट्रिब्यूनल का फैसला ही अंतिम होता था. अब ट्रिब्यूनल के फैसले से असंतुष्ट पक्ष 90 दिन के भीतर हाईकोर्ट में जा सकता है. वहां पर जमीन का मामला सामान्य मामलों की तरह चलेगा.
बोहरा और आगाखानी भी बना सकेंगे बोर्ड : बिल के मुताबिक, अब केवल वही प्रॉपर्टी वक़्फ़ की मानी जाएगी जो अभी तक उसके पास बिना विवाद के है. कोई ऐसी संपत्ति, जिस पर कोर्ट में सुनवाई चल रही हो या पुलिस में शिकायत दर्ज हो. वह तब तक वक्फ नहीं मानी जाएगी, जब तक उस पर अंतिम निर्णय न आ जाए.
अब बिना बेटे और वसीयत के मरने पर वह संपत्ति अपने आप वक्फ की संपत्ति घोषित नहीं हो सकेगी बल्कि उस पर बेटियों का अधिकार माना जाएगा.
पहले केवल सुन्नी और शिया वक्फ बोर्ड होता था. नए बिल के बाद अब बोहरा और आग़ाख़ानी मुस्लिम अपना अलग से बोर्ड बना सकते हैं. ये अलग अलग धड़े अब दोयम दर्जे के मुसलमान नहीं रहेंगे.