नर्स निमिषा प्रिया : यमन में 16 जुलाई को फांसी! मां ने बेटी को बचाने के लिए बेच दी अपनी जमीन-जायदाद

Yaman-Fansi-Nurse-Nimisha

नई दिल्ली : केरल की नर्स निमिषा प्रिया की खबर सभी को परेशान कर रही है. हर किसी की चाहत है कि निमिषा की जान यमन में बच जाए. उसे 16 जुलाई को फांसी न दी जाए, अपनी बेटी को बचाने के लिए मां ने अपना सब कुछ बेच दिया है. नर्स निमिषा की जान पहले ही बच जाती है अगर अब्दुला लास्ट टाइम पर धोखा नहीं देते.

NDTV में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, निमिषा प्रिया की मां प्रेमा कुमारी ने बेटी को बचाने के लिए अपना घर, खेत, जमीन-जायदाद सब बेच दिया है, लेकिन अब्दुल्ला अमीर नाम के वकील ने पैसे लेकर भी बातचीत आगे नहीं बढ़ाई इसलिए मामला फांसी तक आ गया, वरना आज निमिषा फांसी से बच सकती थी. अब खबर है कि 16 जुलाई को निमिषा को फांसी दी जा सकती है. जानते हैं पूरी कहानी.

मां ने बेटी को बचाने के लिए बेचा घर : रिपोर्ट के मुताबिक, निमिषा की मां प्रेमा कुमारी जो कोच्चि में घरों में काम करती हैं, उन्होंने बेटी को बचाने के लिए सब कुछ दांव पर लगा दिया. उन्होंने अपना घर और जमीन बेच दी.

‘ब्लड मनी’ से बच सकती है जान : यमन के कानून के मुताबिक, इस मामले में ‘ब्लड मनी’ का विकल्प है, जिसमें पीड़ित परिवार को मुआवजा देकर सजा माफ कराई जा सकती है. लेकिन मुआवजे की रकम पीड़ित परिवार तय करता है.इसको लेकर मां प्रेमा पिछले एक साल से यमन की राजधानी सना में रहकर तलाल पीड़िता के परिवार से बातचीत करने की कोशिश कर रही हैं.

लास्ट टाइम पर बदल गया अब्दुला? : ‘सेव निमिषा प्रिया इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल’ नाम के समूह ने क्राउडफंडिंग के जरिए पैसे जुटाए. जिसे देकर सजा कम कराई जाए. इसके लिए भारतीय दूतावास ने एक वकील अब्दुल्ला अमीर को भी नियुक्त किया. जिसने ‘ब्लड मनी’ के लिए बातचीत शुरू करने से पहले 20,000 डॉलर (लगभग 16.6 लाख रुपये) की फीस मांगी. विदेश मंत्रालय ने जुलाई 2024 में 19,871 डॉलर दिए, लेकिन अमीर ने कुल 40,000 डॉलर की मांग की. जिसके बाद सितंबर 2024 में बातचीत रुक गई, क्योंकि अमीर ने दूसरी किस्त का इंतजार किए बिना काम बंद कर दिया. अगर अब्दुला यह बातचीत करता तो शायद आज हालात कुछ दूसरे होते.

क्या है नर्स निमिषा प्रिया का मामला? : निमिषा 2008 में अपने माता-पिता की मदद के लिए यमन गई थीं. कई अस्पतालों में नर्स के तौर पर काम करने के बाद  उन्होंने 2014 में तलाल अब्दो महदी नाम के यमनी नागरिक के साथ मिलकर अपना क्लिनिक शुरू किया. यमन के कानून के मुताबिक, विदेशी को बिजनेस शुरू करने के लिए स्थानीय पार्टनर चाहिए. लेकिन तलाल के साथ उनका झगड़ा हो गया. निमिषा ने तलाल के खिलाफ 2016 में शिकायत की, जिसके बाद उसे गिरफ्तार किया गया. जेल से छूटने के बाद तलाल ने कथित तौर पर निमिषा को धमकाना और परेशान करना जारी रखा.

मौत की हत्या का आरोप : निमिषा के परिवार का कहना है कि तलाल ने उनका पासपोर्ट जब्त कर लिया था. इसे वापस लेने के लिए निमिषा ने तलाल को बेहोश करने की दवा दी, लेकिन गलती से दवा की मात्रा ज्यादा हो गई और तलाल की मौत हो गई. 2018 में निमिषा को हत्या का दोषी ठहराया गया, और नवंबर 2023 में यमन की सुप्रीम ज्यूडिशियल काउंसिल ने भी सजा को बरकरार रखा है.

क्या कहता है यमन का कानून? : यमन में हत्या, ड्रग तस्करी, व्यभिचार जैसे कई अपराधों के लिए फांसी की सजा है. लेकिन इस्लामी कानून के तहत ‘ब्लड मनी’ देकर सजा माफ हो सकती है. निमिषा के लिए अब यही आखिरी रास्ता है.

फांसी की सजा 16 जुलाई को तय की गई : यमनी मीडिया रिपोर्टों में यमन के अधिकारियों और पीड़ित तलाल अब्दो महदी के परिवार के साथ बातचीत में शामिल एक सामाजिक कार्यकर्ता के हवाले से कहा गया है कि सरकारी अभियोजक ने जेल को आदेश भेजा है और फांसी की सजा 16 जुलाई को तय की गई है.

भारत सरकार और परिवार की गुहार : विदेश मंत्रालय ने कहा कि वे इस मामले पर नजर रखे हुए हैं और निमिषा के परिवार को हर संभव मदद दे रहे हैं. प्रेमा कुमारी ने भावुक अपील में कहा, “मैं भारत और केरल सरकार का शुक्रिया अदा करती हूं, लेकिन अब समय बहुत कम है. मेरी बेटी की जान बचाने में मदद करें.”

आखिरी उम्मीद बाकी : निमिषा की जान बचाने के लिए अब वक्त तेजी से खत्म हो रहा है. सामाजिक कार्यकर्ता सैमुअल जेरोम और काउंसिल तलाल के परिवार से बातचीत की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन अब्दुल्ला अमीर के रवैये और पैसे की मांग ने सबको निराश किया है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *