नई दिल्ली : पीएम मोदी हाल ही में फ्री ट्रेड एग्रीमेंट पर साइन करने के लिए ब्रिटेन और उसके बाद मालदीव गए थे. उनके इस 4 दिनी दौरे पर कोट-पैंट वाली एक लंबी कद काठी वाली महिला साये की तरह साथ चलती नजर आई. वह महिला आखिर कौन थी, जिसे पीएम के इतना करीब चलने की इजाजत दी गई. आज हम उस पावरफुल महिला के जो बताने जा रहे हैं, उसे जानकर आप भी गर्व से भर उठेंगे. शांत लेकिन दृढ निश्चय वाली वह महिला अब इंटरनेट सनसनी बन चुकी है.
कौन हैं अदासो कपेसा? : पीएम मोदी के साथ नजर आई उस महिला का नाम अदासो कपेसा है. वे मणिपुर की पहली महिला हैं, जिन्हें भारत के प्रधानमंत्री की सुरक्षा के लिए बने स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप में कमांडो के रूप में नियुक्ति मिली है. वे मूल रूप से मणिपुर के सेनापति जिले के कैबी गांव की रहने वाली हैं और माओ-नागा समुदाय से ताल्लुक रखती हैं. उनकी उपलब्धि न केवल मणिपुर और पूर्वोत्तर भारत के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए गर्व का विषय मानी जा रही है.
लंबी कद-काठी ने दिलाया मुकाम : इकॉनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, अदासो कपेसा ने अपना करियर सशस्त्र सीमा बल से शुरू किया. वे फिलहाल उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में 55वीं बटालियन में कार्यरत हैं. लंबी चौड़ी कद काठी और फुर्तीले स्वभाव की वजह से उन्हें एसपीजी की महिला इकाई में ड्यूटी के लिए चुना गया. इसके बाद सख्त कमांडो ट्रेनिंग के बाद डेपुटेशन पर एसपीजी में शामिल कर लिया गया.
एसपीजी में शामिल होने वाली मणिपुर की पहली महिला : एसपीजी में शामिल होने वाली वे मणिपुर की पहली महिला मानी जा रही हैं. उनका एसपीजी का हिस्सा बनना उनकी व्यक्तिगत ही नहीं बल्कि मणिपुर समेत समूचे पूर्वोत्तर के लिए अहम उपलब्धि मानी जा रही है. पीएम मोदी के एक अहम विदेशी दौरे पर उनकी बगल में कपेसा की उपस्थिति न केवल प्रतीकात्मक बल्कि रणनीतिक और ऐतिहासिक भी थी.
एसपीजी में कुल 3 हजार कमांडो : बताते चलें कि एसपीजी में कुल 3 हजार ट्रेंड कमांडो हैं. ये कमांडो तीनों सेनाओं और अर्ध सैनिक बलों में सख्त पैरामीटर पूरा करने वाले जवानों में से चुने जाते हैं. इन कमांडोज में 100 महिलाएं भी शामिल हैं, जिन्हें स्पेशल ट्रेनिंग के बाद एसपीजी में इंडक्ट किया जाता है. इस फोर्स का एकमात्र काम देश और विदेश में पीएम की सुरक्षा सुनिश्चित करना है.
हासिल करना पड़ता है खास प्रशिक्षण : किसी भी परिस्थिति से निपटने के लिए एसपीजी कमांडोज को विशेष प्रशिक्षण दिया जाता है. इसमें हथियार संचालन, निहत्था युद्ध, सामरिक ड्राइविंग, और संकट प्रबंधन शामिल हैं. उनके पास विशेष चश्मे और हथियार होते हैं, जो आपात स्थिति में उनकी आंखों और सुरक्षा को सुनिश्चित करते हैं.
4 विंगों में बंटे होते हैं फोर्स के जवान : वे चार विंग में बंटे होते हैं. इनमें पहली विंग प्रोटेक्शन विंग है. इसका काम प्रधानमंत्री के आसपास रहकर संदिग्ध गतिविधियों पर नजर रखना है. दूसरी विंग ड्राइविंग विंग है. इसका काम बुलेटप्रूफ वाहनों को चलाना है. तीसरी विंग सर्विलांस विंग है. इसकी जिम्मेदारी खतरे का आकलन और निगरानी करना है. चौथी विंग ट्रेनिंग विंग है. इसका काम कमांडो को नियमित प्रशिक्षण प्रदान करना है.