गुवाहाटी : असम की भाजपा सरकार ने 24 घंटे के भीतर दूसरा धमाकेदार फैसला लिया है. पहले फैसले में दुर्गा पूजा को देखते हुए धुबरी में देखते ही गोली मारने के आदेश को बढ़ाया गया और अब एक धार्मिक समुदाय से दूसरे धार्मिक समुदाय के बीच जमीन का ट्रांसफर आसानी से नहीं होगा. जी हां, असम की हिमंता बिस्व सरमा की सरकार ने इसको लेकर एक एसओपी को मंजूरी दे दी है. सरकार ने साफ किया है कि इस तरह के हर मामले की जांच सरकार की तरफ से की जाएगी.
असम के मुख्यमंत्री ने बताया, ‘आज राज्य की कैबिनेट ने अंतर-धार्मिक भूमि हस्तांतरण के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) को मंजूरी दी है. असम जैसे संवेदनशील राज्य में दो धार्मिक समूहों के बीच जमीन के ट्रांसफर को बहुत सावधानी से संभालना जरूरी है इसलिए अब ऐसे सभी भूमि हस्तांतरण प्रस्ताव सरकार के पास आएंगे.’
सीएम ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि इस तरह से धार्मिक समूहों के बीच जमीन ट्रांसफर का मामला सरकार अपनी विशेष शाखा के माध्यम से देखेगी और हर प्रस्ताव की जांच की जाएगी. उन्होंने कहा कि हम यह देखेंगे कि धन का स्रोत क्या है, क्या यह कर रिटर्न में दर्शाया गया है या नहीं और क्या इस तरह की बिक्री से उस विशेष इलाके के सामाजिक ताने-बाने पर असर पड़ेगा? क्या किसी स्थानीय व्यक्ति को कोई आपत्ति है, क्या उसका उचित समाधान किया गया है या नहीं और अंत में, क्या कुछ मामलों में राष्ट्रीय सुरक्षा का कोई पहलू शामिल है.
हिमंता ने कहा कि ऐसे सभी केस की जांच की जाएगी और उसके बाद हम उपायुक्त को सूचित करेंगे कि उन्हें भूमि हस्तांतरण की अनुमति देनी चाहिए या नहीं. तब ही उपायुक्त अंतिम निर्णय लेंगे. असम से बाहर के गैर-सरकारी संगठन असम में भूमि खरीदना चाहते हैं और मुख्य रूप से शैक्षणिक और स्वास्थ्य संस्थान आदि स्थापित करना चाहते हैं तो ऐसे सभी प्रस्तावों की राष्ट्रीय सुरक्षा के दृष्टिकोण से जांच की जाएगी. उसके बाद ही भूमि बिक्री की अनुमति दी जाएगी. हालांकि स्थानीय लोगों के लिए गैर सरकारी संगठन को ऐसी किसी प्रक्रिया का पालन करने की आवश्यकता नहीं है.