नई दिल्ली : राजधानी में दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने जीवन रक्षक नकली दवा बनाकर बेचने वाले गिरोह का पर्दाफाश करते हुए सरगना समेत छह लोगों को गिरफ्तार किया है। आरोपियों की पहचान मोहम्मद आलम, मोहम्मद सलीम, परमानंद, मोहम्मद ज़ुबैर, प्रेम शंकर प्रजापति और राजेश मिश्रा के रूप में हुई है। यह रैकेट हरियाणा यूपी समेत पूरे उत्तर भारत में फैला हुआ है। नकली दवाओं के निर्माण और पैकेजिंग के कारखाने जींद, हरियाणा और बद्दी, हिमाचल प्रदेश में लगे हुए हैं। इनके कब्जे से जॉनसन एंड जॉनसन, जीएसके जैसी प्रतिष्ठित कंपनियों की नकली दवाएं भारी मात्रा में बरामद की गई हैं।
अपराध शाखा के पुलिस उपायुक्त हर्ष इंदौरा ने बताया शाखा में तैनात इंस्पेक्टर पवन कुमार की टीम को खुफिया जानकारी मिली थी। टीम ने जीएसके और जॉनसन एंड जॉनसन के कानूनी प्रतिनिधियों और तकनीकी विशेषज्ञों के साथ कोर्डिनेशन किया। सूचना के बाद पुलिस टीम ने एचपी सीएनजी पेट्रोल पंप, श्यामनाथ मार्ग, सिविल लाइंस में 30 जुलाई को घेराबंदी की।
पुलिस टीम यहां से वैगनआर कार में सवार उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद निवासी मोहम्मद आलम और मोहम्मद सलीम को नकली दवाइयां ले जाते पकड़ा। जॉनसन एंड जॉनसन और जीएसके के प्रतिनिधियों ने पैकेजिंग और स्टैम्पिंग कंपनी के मानकों के अनुरूप नहीं होने की पुष्टि की। प्रयोगशाला परीक्षणों ने भी दवाओं के नकली होने की पुष्टि की। जांच में पता चला कि सिंडिकेट सुसंगठित अंतरराज्यीय नेटवर्क के माध्यम से संचालित होता था। इसमें सोर्सिंग, निर्माण, वितरण और खुदरा व्यापार शामिल था।
फेसबुक से करते थे संपर्क : नकली दवाओं के कारोबार से शुरुआती संपर्क अक्सर फेसबुक जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से शुरू होता था। आरोपी मोहम्मद आलम और मोहम्मद जुबेर को पोस्ट और संदेशों के माध्यम से नकली दवा आपूर्तिकर्ताओं से परिचित कराया गया था। दवाइयां महराजगंज के अरुण, करनाल के कोमल, गोरखपुर के सुमित और अन्य आपूर्तिकर्ताओं से प्राप्त की जाती थीं। इनमें न केवल अल्ट्रासेट और ऑगमेंटिन शामिल थे, बल्कि जीरोडोल एसपी, पैंटॉप डीएसआर, केनकोर्ट इंजेक्शन और भी बहुत दवाइयां शामिल थीं। सरगना राजेश मिश्रा ने दवा निर्माण में अपने पूर्व अनुभव का इस्तेमाल करके जींद में परमानंद द्वारा महालक्ष्मी नाम से संचालित एक गुप्त इकाई के माध्यम से नकली उत्पादन फिर से शुरू किया था।
आरोपी ऐसे करते थे भुगतान : आरोपी भुगतान का लेनदेन मोबाइल वॉलेट और बारकोड से करते थे। बरामद मोबाइल से ऐसे संपर्कों का पता चला जो कोमल जी करनाल, अमित जैन स्किन शाइन दिल्ली, पप्पी भैया जीकेपी) के साथ सेव किए हुए थे। खुदरा वितरण विश्वसनीय मेडिकल स्टोर, झोलाछापों के जरिए सीधे होता था। आरोपी सुरक्षा एजेंसियों से बचने के लिए वित्तीय लेनदेन रिश्तेदारों के खातों के माध्यम से करते थे। ये कूरियर और निजी वाहनों का इस्तेमाल करते थे।
राजेश है पैकजिंग से लेकर नकली दवाओं का साजिशकर्ता : यूपी के गोरखपुर निवासी राजेश मिश्रा सिंडिकेट का सरगना है। पैकेजिंग सामग्री, डाई की आपूर्ति से लेकर नकली दवाओं के निर्माण तक, पूरे ऑपरेशन का साजिशकर्ता है। मोहम्मद आलम दिल्ली एनसीआर में नकली दवाओं के परिवहन में अहम भूमिका निभाता था। मोहम्मद सलीम मोहम्मद आलम का भाई है। वह जब्त की गई वैगनआर गाड़ी का सह-चालक था और नकली दवाओं के रसद और वितरण में सहायता कर रहा था।
मुरादाबाद के मैनाठेर स्थित नौसाना शेखूपुर निवासी मोहम्मद जुबेर आलम और सलीम को नकली दवाइयां सप्लाई करता था। यूपी के देवरिया निवासी प्रेम शंकर प्रजापति प्रमुख मध्यस्थ और ट्रांसपोर्टर के रूप में काम करता था। हरियाणा के जींद निवासी परमानंद कारखाना मालिक था और लक्ष्मी मां नाम से फार्मा चलाता था। जहा नकली अल्ट्रासेट टैबलेट असली दिखने वाली पैकेजिंग और हिमाचल प्रदेश के बद्दी से प्राप्त पन्नी का उपयोग करके बनाई जाती थीं। उसके पास दवा की दुकान का लाइसेंस था, लेकिन इन दवाओं के निर्माण का अधिकार नहीं था।
जब्त की गई नकली दवाइयां :
- अल्ट्रासेट (जॉनसन एंड जॉनसन)-9015 गोलियां
- ऑगमेंटिन 625 – 6100 गोलियां
- पैन-40 (एल्केम)- 1200 गोलियां
- बेटनोवेट-एन क्रीम -1166 ट्यूब,
- एमोक्सिसिलिन- 25650
- पीसीएम- 5900
- पैन डीएसआर-2700
- इंजेक्शन कनकोर्ट – 74 डिब्बे (स्टेरॉयड)
- प्रोयको स्पास- 12000 गोलियां
इसके अलावा औद्योगिक क्षेत्र परवाणू, सोलन, हिमाचल प्रदेश में स्थापित कारखाने से भारी शुल्क वाली दवाइयों की पैकिंग मशीन, विभिन्न प्रकार की दवाओं के 10 फ़ॉइल रोल, लगभग 150 किलोग्राम खुली गोलियां, विभिन्न प्रकार के 20 किलोग्राम खुले कैप्सूल मिले हैं।
डिब्बों में पैक दवाइयां :
- क्लैवम 625 (18800 गोलियां)
- काइमोट्री प्लस (26100 गोलियां)
- जीरोडोल पी (1000 गोलियां)
- पैंटॉप डीएसआर (750 गोलियां)
- जीरोडोल एसपी (1500)
दवाओं के खाली डिब्बे :
- जीरोडोल एसपी – 900 डिब्बा
- पैंटॉप डीएसआर – 300 डिब्बा
- वीफ-ओ एलबी – 200 डिब्बा
- वेमाक्स-625 एलबी – 1000 डिब्बा
- क्लैवम 625 – 10 डिब्बा
- कैफ़ी टॉप 200 – 80 डिब्बा
- सेफोटॉप 200 – 30 डिब्बा