नई दिल्ली : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने नोबेल पीस प्राइज की चाहत में यूक्रेन युद्ध में टांग फंसाकर वो गलती कर दी है कि अब उन्हें अपनों के बीच ही बेआबरू होकर मुंह छिपाते घूमना पड़ रहा है. पूरी दुनिया ट्रंप को चिढ़ाते हुए बातें बना रही है. सवाल उठ रहा है कि हिंदुस्तान पर टैरिफ लगाकर युद्धविराम करवाने वाले ट्रंप को भारत ने औकात दिखा दी है.
भारत ने निकाल दी ट्रंप की हेकड़ी! : अब ट्रंप की इस हालत पर खुद पाकिस्तानी भी चुटकी लेने से बाज नहीं आ रहे हैं. जो पाकिस्तानी ऑपरेशन सिंदूर के बाद से भारत को लेकर तमतमाए बैठे थे. मुनीर को लंच कराने के बदले ट्रंप के सामने सरेंडर नजर आ रहे थे. अब वही पाकिस्तानी दलील दे रहे हैं कि ट्रंप को अगर दुनिया में कोई झुका सकता है तो वो चाइना है और दूसरे नंबर पर इंडिया. दरअसल पाकिस्तान में इस बात की चर्चा जोरों पर है कि ट्रंप ने हिंदुस्तान के आगे सरेंडर कर दिया है. अब वो किसी भी वक्त हिंदुस्तान से टैरिफ में कटौती कर सकता हैं क्योंकि अगर ट्रंप ने ऐसा नहीं किया तो यूक्रेन में युद्ध विराम नहीं होगा.
बैकफुट पर आ गए ट्रंप : दावा तो ये भी किया जा रहा है कि भारत के NSA अजित डोभाल रूस गए थे तो पुतिन ट्रंप से मिलने को तैयार हुए. इस बार विदेश मंत्री जयशंकर रूस गए तो पुतिन ने जेलेंस्की से मिलने से इनकार कर दिया. रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा कि यूक्रेन के संविधान के हिसाब से जेलेंस्की शांति मसौदे पर साइन करने के लिए वैध आदमी नहीं हैं. यानी रूस वही कर रहा है जो हिंदुस्तान कह रहा है. मतलब पाकिस्तानी भी ये मान रहे हैं कि भारत से पंगा लेकर ट्रंप ने अपनी जिंदगी की बहुत बड़ी भूल कर दी है. जिसकी वजह से ट्रंप अब पूरी तरह बैकफुट पर आ गए हैं.
अपने ही देश में घिर गए अमेरिकी राष्ट्रपति : बता दें कि भारत के साथ टैरिफ वॉर के चलते ट्रंप को ना केवल अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मुंह की खानी पड़ रही है बल्कि ट्रंप अपने देश में भी घिरते जा रहे हैं. अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए के पूर्व विश्लेषक लैरी ने तो ये तक दावा कर दिया है कि कलेश की असली जड़ ट्रंप ही हैं. अगर ट्रंप चाहें तो एक दिन में युद्ध खत्म करवा दें.
पाकिस्तानी क्यों कर रहे भारत की तारीफ? : भारत और पाकिस्तान के बीच रिश्ते कभी भी अच्छे नहीं रहे हैं. बावजूद इसके अगर ये बात पाकिस्तान की तरफ से कही जा रही है कि भारत से टैरिफ वॉर छेड़कर अमेरिका ने गलती कर दी है. तो यकीनन ट्रंप को अपनी गिरेबान में झांकना चाहिए कि जिस हिंदुस्तान ने अमेरिका को अपना दोस्त समझा. अमेरिका ने अपने उसी दोस्त की पीठ में छुरा घोंपने की कोशिश की.