मप्र : सबसे पहले बाबा महाकाल के दरबार में मनाया गया पर्व, भस्म आरती में बंधवाई राखी

Ujjain-Mahakaal

उज्जैन : आज भाई-बहन के प्रेम का पर्व रक्षाबंधन पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। यह पर्व केवल इंसानों तक सीमित नहीं है, बल्कि देवों के देव महाकाल भी इसे मनाते हैं। 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक भगवान महाकाल को आज सुबह भस्म आरती के दौरान राखी बांधी गई, जो इस पर्व की अनूठी परंपरा है। मान्यता है कि सबसे पहले राखी भगवान महाकाल को ही बांधी जाती है, और जिन बहनों के भाई नहीं होते, वे महाकाल को अपना भाई मानकर राखी बांधती हैं।

आज श्रावण मास का अंतिम दिन होने के कारण भस्म आरती के समय पंडे और पुजारियों के परिवारों ने बाबा महाकाल को राखी अर्पित की। साथ ही, बेसन और शुद्ध घी से तैयार सवा लाख लड्डुओं का भोग भी लगाया गया। महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी पं. अमर गुरु ने बताया कि इस वर्ष भगवान महाकाल को 4 आकर्षक राखियां बांधी गईं, जिनमें वैदिक राखी, भगवान जगन्नाथ की राखी और तिरुपति बालाजी की राखी शामिल थीं।

रक्षाबंधन के अवसर पर सुबह 3 बजे होने वाली भस्म आरती में महाकाल का पंचामृत अभिषेक किया गया। इसके बाद भव्य श्रृंगार कर उन्हें सवा लाख लड्डुओं का भोग अर्पित किया गया। इस विशेष अवसर पर मंदिर के पंडे-पुजारियों ने बाबा महाकाल को राखी बांधी। श्रावण पूर्णिमा पर आयोजित इस भस्म आरती में भारी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए और अपने भाइयों की लंबी उम्र व खुशहाली की कामना की। मान्यता है कि हिंदू रीति-रिवाजों के सभी त्यौहारों की शुरुआत महाकाल से ही होती है, और आज भी इस परंपरा को पूरी श्रद्धा के साथ निभाया गया।

मंदिर में बाबा महाकाल के दर्शन के लिए देर रात से ही भक्तों की भीड़ जुटना शुरू हो गई थी। भस्म आरती के लिए रविवार रात 3 बजे मंदिर के पट खोल दिए गए थे।

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